उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने सेना में भर्ती कराने के नाम पर लोगों को चूना लगाने वाले एक शख्स को गिरफ्तार किया है. यह शख्स फर्जी जूनियर कमीशन अधिकारी बनकर लोगों से ठगी के काम को अंजाम देता था. बताया जा रहा है कि फर्जीवाड़े का आरोपी आलोक कुमार अवस्थी भारतीय सेना से भागा हुआ है. एसटीएफ ने आलोक कुमार अवस्थी से भारतीय सेना का परिचय पत्र और अन्य दस्तावेज बरामद किए हैं.
ठगी करने वाले शख्स के कब्जे से भारतीय सेना का जो परिचय पत्र बरामद हुआ है, वह 08 जून 2010 को मद्रास इंजीनियर ग्रुप और सेंटर की ओर से एसपीआर पोस्ट के लिए जारी किया गया है. इसपर अभियुक्त आलोक कुमार अवस्थी का फोटो लगा है. उसके पास से कैंटीन स्मार्ट कार्ड (लिकर कार्ड), एक चेक, पैनकार्ड, 2550 रुपए नकद और इसी अपराध के रुपयों से खरीदी मारुति वैगनआर कार UP35 AW 4931 (मैटलिक सिल्वर रंग) बरामद हुआ है. अंतरराज्यीय स्तर पर आर्मी में भर्ती कराने के नाम पर लोगों से ठगी करने वाले इस फर्जी जूनियर कमीशन अधिकारी ( भगोड़े फौजी) को कानपुर नगर के कैंट थाना एरिया में सर्किट हाऊस तिराहे के पास से गिरफ्तार किया गया है.
फर्जी जूनियर कमीशन अधिकारी आलोक कुमार अवस्थी अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के माध्यम से संपर्क में आए लोगों को अपना इंडियन आर्मी का परिचय पत्र और कैंटीन स्मार्ट कार्ड दिखा कर, कुछ लोगों को इंटरनेट और वाट्सएप से दिखा कर बताता था कि इसकी पहुंच इंडियन आर्मी में कई कर्नल और बड़े अधिकारियों तक है. लोगों को झांसा देने के लिए अपने लिकर कार्ड से लोगों को आर्मी कैंटीन से सामान भी दिलवाता था. जब लोग इसके झांसे में आ जाते थे, तब उनको या उनके परिवार वालों की नौकरी इंडियन आर्मी में लगवाने का झांसा देता था. लोग नौकरी के लालच में आकर इसको तीन लाख से पांच लाख रुपए देने को तैयार हो जाते थे. वह कुछ लोगों से अपने अकाउंट में और कुछ लोगों से नकद रुपए लेता था.
फर्जी अधिकारी नौकरी लगवाने की बात अक्सर इंटरनेट से ही करता था. इसने उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, बिहार के काफी लोगों से ठगी की है. आरोपी ने लगभग 150 लोगों से ठगी की बात स्वीकारी है लेकिन यह संख्या इससे बहुत अधिक हो सकती है. इसकी जानकारी जुटाई जा रही. इसके इंडियन आर्मी के अधिकारियों से संबंध के बारे में भी विस्तृत जानकारी जुटाई जा रही है. आरोपी ने ठगी के रुपयों से अपने गांव पर मकान बनाना शुरू किया है जिसमें अबतक लगभग एक करोड़ रुपए लग चुके हैं. मारुति वैगनआर UP 35 AW 4931 भी इसी ठगी के रुपए से खरीदी गई है.