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महाराष्ट्रः पिता पर बोझ बनता देख किसान की बेटी ने की खुदकुशी

उजड़ते खेत, भूखे मरते किसान और भूख-प्यास से बेहाल उनके परिवार, महाराष्ट्र के किसानों की शायद यही नियति बन गई है. महाराष्ट्र के लातूर में एक किसान की बेटी ने सिर्फ इसलिए मौत को गले लगा लिया क्योंकि उसे लगने लगा था कि अब वह अपने पिता पर बोझ बन गई है.

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खुदकुशी से पहले शीतल ने परिवार के नाम लिखा एक खत (सांकेतिक तस्वीर)
खुदकुशी से पहले शीतल ने परिवार के नाम लिखा एक खत (सांकेतिक तस्वीर)

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उजड़ते खेत, भूखे मरते किसान और भूख-प्यास से बेहाल उनके परिवार, महाराष्ट्र के किसानों की शायद यही नियति बन गई है. महाराष्ट्र के लातूर में एक किसान की बेटी ने सिर्फ इसलिए मौत को गले लगा लिया क्योंकि उसे लगने लगा था कि अब वह अपने पिता पर बोझ बन गई है.

घटना लातूर जिले के भिसेवाघोली की है. 21 साल की शीतल वायाल बेहद खुशमिजाज रहने वाली एक जिंदा दिल लड़की थी. मगर समय ने उसकी खुशियां छीन ली थी. किसान पिता के सिर पर साहूकारों और बैंक का लाखों रुपये का कर्ज चढ़ गया. ऐसे में उसकी शादी भी पिता की जिंदगी पर बोझ बन गई.

अपने पिता और परिवार को परेशान देखते हुए शीतल ने अपनी जिंदगी खत्म करने का फैसला किया और अपने ही खेत में बने कुएं में कूदकर जान दे दी. खुदकुशी से पहले शीतल ने अपने परिवार के नाम पर एक खत लिखा. शीतल ने खत में लिखा, पिताजी ने बड़ी मुश्किलों से उसकी बड़ी बहनों की शादी की थी.

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शीतल ने लिखा, 'शादी के लिए लाखों रुपयों का कर्ज भी लिया. पिताजी कर्ज नहीं चुका पा रहे थे. वो रोज परेशान रहते थे और फसल भी बर्बाद हो चुकी थी. परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने लगी. वहीं पिताजी पर मेरी शादी का भी बोझ है. पिछले दो साल से पिताजी मेरी शादी करवाना चाह रहे हैं लेकिन शादी के लिए कर्ज नहीं मिल रहा है.'

'पिताजी ने सरकार से लेकर साहूकार तक का दरवाजा खटखटाया लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की. मैं अपने पिता को रोज मरते हुए नहीं देख सकती. उन्हें इस बोझ से छुटकारा दिलाने के लिए मुझे ही खुद को खत्म कर लेना चाहिए और आज मैं यही कर रही हूं. मेरी आत्महत्या का कोई जिम्मेदार नहीं है.'

बताते चलें कि किसान की बेटी के खुदकुशी करने का यह कोई पहला मामला नहीं है. पिछले साल इसी गांव में मोहिनी भिसे नाम की एक लड़की ने इसी वजह से आत्महत्या की थी.

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