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निर्भया कांड के 5 साल, दिल्ली में कितनी निर्भय हैं महिलाएं

देश के सभी महानगरों में अपराधों के मामले में दिल्ली अव्वल रहा है. महानगरों में कुल अपराधों में अकेले दिल्ली में 38.8% अपराध दर्ज हुए. दूसरे नंबर पर बेंगलुरू (8.9%) और तीसरे पर मुंबई (7.7%) रहा.

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16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में घटी दिल दहला देने वाली घटना
16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में घटी दिल दहला देने वाली घटना

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पूरे देश को झकझोर देने वाले निर्भया गैंगरेप एवं मर्डर मामले के आज 5 वर्ष पूरे हो गए. इस जघन्य वारदात के बाद संसद से सड़क तक महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक से बढ़कर एक वादे किए गए. जनाक्रोश के दबाव में महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़े कानून में संसद को सख्ती और बदलाव भी लाना पड़ा. लेकिन हकीकत यह है कि न तो महिलाओं के प्रति समाज का नजरिया बदला और न ही महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलो में पुलिस की लापरवाही. न्याय व्यवस्था तो खैर उसी चाल में घिसट रही है.

ज्ञात हो कि 16 दिसंबर, 2012 को दक्षिण दिल्ली में चलती बस में 23 साल की एक पैरामेडिकल छात्रा से छह व्यक्तियों ने सामूहिक बलात्कार किया, निर्दयतापूर्वक मारपीट की और निर्वस्त्र अवस्था में बस से बाहर फेंक दिया. पीड़िता को गंभीर हालत में हेलीकॉप्टर से सिंगापुर ले जाया गया, जहां एक अस्पताल में उसकी मौत हो गई. सुप्रीम कोर्ट ने इस कांड में पांच मई को चार वयस्क मुजरिमों- मुकेश, पवन, विनय शर्मा और अक्षय कुमार सिंह की मृत्युदंड को सही ठहराया है. इस मामले में एक अन्य आरोपी रामसिंह ने तिहाड़ जेल में कथित रूप से खुदकुशी कर ली थी तथा एक नाबालिग आरोपी तीन साल तक सुधार गृह में रहकर रिहा हो चुका है.

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जिन चार अपराधियों को मौत की सजा सुनाई गई है, उनमें से विनय शर्मा और पवन कुमार गुप्ता ने शुक्रवार को समीक्षा याचिकाएं दायर की हैं. रेप के आरोपियों के खिलाफ जनता समय-समय पर सड़क पर उतरती रही है और उनके लिए कठोर से कठोर सजा की मांग की जाती रही है. लेकिन वास्तविकता यह है कि महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में कोई कमी देखने को नहीं मिली है.

NCRB के हालिया सर्वे रिपोर्ट की बात करें तो दिल्ली महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित राज्य बन गया है. महिला सुरक्षा को लेकर NCRB के आंकड़ों के मुताबिक-

- साल 2011 से 2016 के बीच दिल्ली में महिलाओं के साथ दुष्कर्म के मामलों में 277 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

- साल 2011 में जहां इस तरह के कुल 572 मामले सामने आए थे, वहीं 2016 में यह आंकड़ा 2155 रहा.

- इनमें से 291 मामलों का अप्रैल 2017 तक समाधान नहीं हो पाया था.

- निर्भया कांड के बाद दुष्कर्म के दर्ज मामलों में 132 फीसदी की बढ़ोतरी हुई.

- इस साल अकेले जनवरी में दुष्कर्म के 140 मामले दर्ज किए गए थे. इसके अलावा मई 2017 तक राज्य में दुष्कर्म के कुल 836 मामले सामने आ चुके हैं.

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महानगरों में दिल्ली महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित

देश के सभी महानगरों में अपराधों के मामले में दिल्ली अव्वल रहा है. महानगरों में कुल अपराधों में अकेले दिल्ली में 38.8% अपराध दर्ज हुए. दूसरे नंबर पर बेंगलुरू (8.9%) और तीसरे पर मुंबई (7.7%) रहा. महानगरों में बलात्कार के कुल मामलों में अकेले दिल्ली में 40 फीसदी हुए. मुंबई में बलात्कार के 12 फीसदी मामले दर्ज हुए.

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