चारा घोटाले के चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी मामले में 17 में से 16 दोषियों को सजा सुना दी गई है. इसमें 11 दोषियों को 3-3 साल की सजा और 5 दोषियों को 4-4 साल की सजा सुनाई गई है. इसके साथ ही अधिकतम 7 लाख और न्यूनत्तम 25 हजार का जुर्माना लगाया गया है.
बुधवार इन आरोपियों को चाईबासा कोषागार से 37 करोड़ की अवैध निकासी से जुड़े चारा घोटाला के एक पूरक मामले (आर सी 20 ए. 1996) में सीबीआई की विशेष अदालत ने दोषी करार देते हुए सजा का ऐलान किया है. सीबीआई कोर्ट ने सजा के बिंदुओं पर सुनवाई करते हुए पांच अभियुक्तों को चार-चार साल की सजा जबकि अन्य 11 अभियुक्तों को तीन-तीन साल की सजा सुनाई है. सभी 16 दोषियों पर अलग-अलग जुर्माना भी लगाया गया है.
बता दें कि मामले में 15 मई को सुनवाई पूरी हो गई थी. इसके बाद फैसला सुनाने के लिए स्पेशल जज एस. एन. मिश्रा की अदालत ने 29 मई की तारीख तय की थी. जिन 5 आरोपियों को 4 सला की सजा सुनाई गई है, उनके नाम राम अवतार शर्मा, किशोर झा, बसंत सिन्हा, महेंद्र कुंदन और उमेश दुबे है.
वहीं, जिन 17 लोगों पर ये केस चल रहा था, उनके नाम विमल अग्रवाल, महेंद्र कुंदन, संजीव कुमार बासुदेव, अनिल कुमार, राम अवतार शर्मा, किशोर झा, ब्रजकिशोर अग्रवाल, बसंत सिन्हा, राजेंद्र हरित, शैरुन्निशा, उमेश दुबे, चन्द्रशेखर दुबे, अदिति जोदार, शाहदेव प्रसाद, लालमोहन गोप, मधु, सुरेन्द्रंनाथ सिन्हा व बीएनएल लाल है. मामले के विशेष लोक अभियोजक बीएमपी सिंह ने 18 आरोपियों के खिलाफ लगे आरोप को साबित करने के लिए कोर्ट में 79 गवाहों का बयान दर्ज कराए हैं जबकि 18 आरोपियों की ओर से बचाव में 5 गवाहों के बयान दर्ज कराए गए.
लालू प्रसाद को 2013 में सुनाई जा चुकी है सजा
चाईबासा कोषागार से जुड़े 37 करोड़ की अवैध निकासी के मूल अभिलेख में लालू प्रसाद और डॉक्टर जगन्नाथ मिश्र समेत 46 आरोपियों को साल 2013 में सीबीआई के स्पेशल जज सजा सुना चुके हैं. इस मामले से जुड़े 18 आरोपियों के खिलाफ बाद में सीबीआई ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी इसलिए इन आरोपियों के खिलाफ मामले की सुनवाई अन्य आरोपियों से बाद में शुरू हुई थी.