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गुजरातः डी.जी. वंजारा की अगुवाई में बनेगा आतंकवाद विरोधी संगठन

गुजरात पुलिस के पूर्व डीआईजी और एनकाउंटर स्पेशलिस्ट डी.जी. वंजारा ने अब आतंक के खिलाफ मोर्चा खोल दिया हैं. डी.जी. वंजारा ने आतंक के खिलाफ एक संगठन बनाने का एलान किया हैं, जिसमें पुलिस के कई पूर्व वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे.

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डी.जी. वंजारा
डी.जी. वंजारा

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गुजरात पुलिस के पूर्व डीआईजी और एनकाउंटर स्पेशलिस्ट डी.जी. वंजारा ने अब आतंक के खिलाफ मोर्चा खोल दिया हैं. डी.जी. वंजारा ने आतंक के खिलाफ एक संगठन बनाने का एलान किया हैं, जिसमें पुलिस के कई पूर्व वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे.

इशरत जहां और सोहराबुद्दीन केस में जमानत पर रिहा हुए पूर्व डीआईजी डी.जी. वंजारा एक नई पारी के साथ सामने आ रहे हैं. पूर्व डीआईजी एक ऐसा संगठन शुरू करने जा रहे हैं, जिसमें शामिल लोग आतंकवाद के शिकार हुए हैं. इस गैरसरकारी संगठन को 'जस्टिस फॉर विक्टिम ऑफ टेररिज्म' नाम दिया गया हैं.

कथित संगठन का चेयरमैन गुजरात के पूर्व डीजीपी एस.एस. खंडवावाला को बनाया गया हैं. दरअसल खंडवावाला एक मुस्लिम चेहरा हैं और संगठन का चेयरमैन बनाकर उन्हें यह बताने की कोशिश की गई है कि, गुजरात में मुठभेड़ के नाम पर महज अल्पसंख्यकों को ही शिकार नहीं बनाया गया हैं.

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संगठन के वाइस-चेयरमैन के तौर पर महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी के.पी. रघुवंशी जिम्मा संभालेंगे. बता दें कि उनके कार्यकाल में मुंबई कई आतंकी हमलों का निशाना बन चुकी हैं. कथित संगठन 9 अक्टूबर से अपना कामकाज शुरू करेगा, जिसके उद्घाटन समारोह में जस्टिस बी.सी. पटेल शामिल होंगे.

पटेल जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं. जस्टिस पटेल ने आतंकी घटनाओं से जुड़े कई अहम मामलों में फैसले सुनाए हैं. वर्तमान में जस्टिस पटेल राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य हैं. वहीं और महत्वपूर्ण शख्सियतों के भी संगठन से जुड़ने की खबर है.

दरअसल खुफिया विभाग में पूर्व स्पेशल डायरेक्टर रह चुके राजिंदर कुमार भी इस संगठन से जुड़ रहे हैं. बता दें कि राजिंदर कुमार के खुफिया विभाग में रहते हुए गुजरात में हुए सभी चर्चित एनकाउंटर राजनीतिक और कानूनी विवादों का केंद्र बने हुए थे, जिसमें गुजरात पुलिस के कई अधिकारियों को जेल भी जाना पड़ा था.

गौरतलब है कि डी.जी. वंजारा पूर्व से ही खुद को आतंकवाद का शिकार बताते हुए आएं हैं. डी.जी. वंजारा के मुताबिक, यह संगठन आतंकवाद के शिकार लोगों की मदद करेगा. बता दें कि वंजारा जब से जमानत पर रिहा हुए हैं, उन्होंने पूरे गुजरात में घूम आतंकवाद के खिलाफ एक जंग सी छेड़ दी है.

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इस दौरान उन्होंने गुजरात में कई रैलियां भी की. वंजारा की ज्यादातर रैलियां विवादों में घिरी रही. वंजारा अपने भाषणों में खुद को सबसे बड़ा राष्ट्रवादी और आंतकवाद विरोधी बताने से भी गुरेज नहीं करते हैं. इससे पहले डी.जी. वंजारा राजनीति में आने का भी इशारा कर चुके हैं.

दरअसल साल 2017 में कई राज्यों समेत गुजरात में भी विधानसभा चुनाव होने हैं. वहीं आरएसएस के कई शिविरों में भी वंजारा आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के साथ दिख चुके हैं. ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि वंजारा की पहली कोशिश बीजेपी से टिकट लेने की रहेगी.

वहीं यह भी साफ है कि जेल से लिखे लेटर के बाद उनके बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से रिश्ते कुछ खास ठीक नहीं हैं. दरअसल जेल में रहने के दौरान उन्होंने अमित शाह पर कई तीखे बयान दिए थे. जानकारों की माने तो अगर वंजारा का बीजेपी से टिकट कटता है तो इस संगठन को आधार बनाकर वह निर्दलीय मैदान में उतर सकते हैं.

वहीं डी.जी.वंजारा और संगठन में शामिल अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की कोशिश रहेगी कि जल्द से जल्द संगठन का गुजरात से बाहर अन्य राज्यों में भी विस्तार किया जाए.

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