राजस्थान के कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल सिंह का एनकाउंटर को लेकर पूरे राजस्थान में बवाल मचा हुआ है. राजपूत समाज के लोगों ने एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए इसकी सीबीआई जांच की मांग की है. आनंदपाल की बूढ़ी मां धरने पर बैठते हुए शव लेने से इंकार कर दिया है. गुस्साई भीड़ ने थाने पर हमला कर दिया. पुलिसकर्मियों की पिटाई कर दी.
जानकारी के मुताबिक, चुरु के मौलासर में शनिवार की रात पांच लाख के इनामी अनकाउंटर आनंदपाल का एनकाउंटर स्पेशल आपरेशन ग्रुप ने तो कर दिया, लेकिन उसके गांव सांवराद में गुस्साई भीड़ ने पुलिस-प्रशासन पर हमला बोल दिया. भीड़ की नाराजगी इस बात को लेकर थी कि गैंगस्टर आनंदपाल सिंह का फर्जी एनकाउंटर किया गया है.
नागौर में राजपूत समाज के नेताओं की भारी भीड़ जमा हो गई है. एनकाउंटर की सीबीआई जांच की मांग को लेकर शव लेने से मना कर दिया. लोगों में नाराजगी इस कदर है कि कानून व्यवस्था कंट्रोल करने गए थानाधिकारी इंद्रराज और एक कमांडो को भीड़ ने इतना पीटा की अस्पताल में भर्ती करना पड़ गया. दुबई में पढ़ रही आनंदपाल की बेटी गांव लौट आई है.
उधर, सुरक्षा के मद्देनजर पूरे नागौर में भारी संख्या में पुलिस बल, एसटीएफ और आपरीएफ के जवान तैनात किए गए हैं. गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने कहा है कि मरने के बाद व्यक्ति का शव पवित्र हो जाता है. हम चाहते हैं कि परिजन शव को लेकर उसका अंतिम संस्कार कर दें. इसके साथ ही उत्पात मचाने वालों से सख्ती से निपटने की हिदायत दी है.
एनकाउंटर पर उठे कई तरह के सवाल
1- आनंदपाल सिंह के एडवोकेट ने इस एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए कहा है कि उसको हरियाणा से पकड़कर लाया गया था और चुरु में मैनेज कर फर्जी एनकाउंटर किया गया है. पुलिस की पूरी कहानी में कई ऐसे झोल हैं, जिस पर बहुत सारे लोगों को भरोसा नहीं हो रहा है. उसके लोकेशन के बारे में उसके भाईयों तक को पता नहीं होता था, तो पकड़ा कैसे गया.
2- आनंदपाल के पास 400 कारतूस बचे थे और वो एके-47 से गोलियां बरसा रहा था फिर भी पुलिस ने उसके पास जाकर पीठ में कैसे गोली मार दी. इस एनकाउंटर में घायल सभी पुलिसकर्मी राजपूत है, ऐसे कैसे हो गया. चूंकि राजपूतों की सहानुभूति उसके साथ रहती थी, कहीं इसलिए तो ऐसा नहीं दिखाया गया. वह सरेंडर करना चाहता था, लेकिन सुरक्षा के साथ.
3. सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस से बरी हुए गुलाबचंद कटारिया बार-बार क्यों कह रहे हैं कि इस एनकाउंटर के बारे में मुझे नहीं पता था. मुझे तो मुख्यमंत्री ने बताया. सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में 10 साल की सजा काटने के बाद जमानत पर चल रहे आईजी दिनेश एनएम ने तो कहा कि मुझे पता ही नहीं था कि मुठभेड़ आनंदपाल सिंह से चल रही थी.
4. एनकाउंटर करने वाली पुलिस टीम का कहना है कि वे सीढ़ी के जरिए नीचे गए और आईना लगा दिया. उस आईना में देखकर आनंदपाल सिंह को गोली मारी. यह बात लोगों के गले नहीं उतर रही है. उनका कहना है कि रात के 10.30 बजे आईना में देखकर गोली मारना कितना आसान होगा.
पुलिस की जुबानी, एनकाउंटर की कहानी
आनंदपाल सिंह के भाई रुपेश उर्फ विक्की और उसके गुर्गे देवेंद्र उर्फ गट्टू का पीछा राजस्थान की स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप पिछले एक महीने से कर रही थी. सिरसा में इन दोनों के होने का पता चलते ही एसओजी ने शनिवार की शाम 6 बजे उन्हें धर दबोचा. पुलिस ने दोनों के एनकाउंटर करने की धमकी दी. इस पर विक्की तो कुछ नहीं बोला, लेकिन गट्टू डर गया.
गट्टू ने बता दिया कि आनंदपाल सिंह एक दिन पहले ही राजस्थान आया है. चुरु के मौलासर के खेत में बने श्रवण सिंह के एक मकान में रह रहा है. यह पता लगते ही करीब 150 पुलिस और कमाडों के साथ चुरु पहुंची. पुलिस ने मौलासर गांव को पूरी तरह घेर लिया. खुद को घिरता देख आनंदपाल ने औरतों को आगे कर हो हल्ला मचाना शुरू कर दिया.
आनंदपाल ने मकान के पिछले दरवाजे की तरफ से जाकर एके-47 से गोलियां बरसानी शुरु कर दी. पुलिस के पास पहले से ही जानकारी थी कि उसके पास 400 राउंड गोलियां हैं. आनंदपाल ने करीब 100 राउंड गोलियां चलाई और खिड़की से भागने की कोशिश करने लगा. लेकिन छत से पुलिस मकान में घुस गई और पीछे से आनंदपाल पर 6 गोलियां दाग दी.
इस एनकाउंटर में एक पुलिस अधिकारी सूर्यवीर सिंह और कंस्टेबल सोहन सिंह घायल हो गए. आनंदपाल पर हत्या, लूट, फिरौती के 24 मामले राज्य के अलग-अलग थानों में दर्ज हैं. उसके 5 राज्यों में ठिकाने का पता चला है. इसके 108 गुर्गों को पुलिस अबतक पकड़ चुकी है. इनमें से 60 को जमानत मिल चुकी है, जबकि 48 अब भी जेल में है.