बिहार और नेपाल के जंगलों में पाई जाने वाली दुर्लभ छिपकली 'गीको' बरामद करते हुए एक शख्स को गिरफ्तार किया गया है. सशस्त्र सीमा बल के 53वीं वाहिनी के जवानों ने शनिवार को 7 टोके गीको को बचाते हुए अनिल लामा नामक एक शख्स को गिरफ्तार कर लिया. बरामद गीको की कीमत करीब 40 लाख रुपये तक बताई जा रही है.
जानकारी के मुताबिक, अनिल लामा नामक शख्स मारुति कार से सात टोके 'गीको' छिपकली ले जा रहा था. उसी समय एसएसबी के जवानों और हैमिल्टन वन रेंज के अधिकारियों ने तलाशी के लिए उसकी कार रोक ली. कार की तलाशी के बाद पुलिस को दुर्लभ छिपकली मिली. तस्कर इन छपकलियों को करीब 5 करोड़ रुपये में बेचने वाला था.
गीको एक दुर्लभ और विलुप्तप्राय प्रजाति की है. इन्हें उत्तर पूर्व में स्थानीय भाषा में केको सांप या छिपकली के नाम से जाना जाता है. इंटरनेशनल ब्लैक मार्केट में इनकी कीमत 40 लाख रुपये तक है. इससे कम में BMW 1 सीरीज और मर्सडीज बेंज की A और B क्लास की कारें आ जाती हैं. कई बीमारियों के इलाज में भी ये काम आता है.
कैंसर और नपुंसकता में इस्तेमाल
गीको के मांस का उपयोग दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में डायबिटीज, कैंसर, नपुंसकता और एड्स की परंपरागत दवाइयों के निर्माण में होता है. इसकी मांग चाइनीज ट्रेडिशनल मेडिसिन में भी है. वहीं, थाईलैंड और इंडोनेशिया जैसे देशों में इसे लोग खाते भी है. इन्हीं सब कारणों से गीको की मांग इंटरनेशनल मार्केट में बहुत ज्यादा है.
विलुप्त होने की कगार पर है गीको
गीको पूर्वोत्तर भारत, नेपाल, बांग्लादेश, दक्षिण-पूर्व एशिया, फिलीपींस, इंडोनेशिया और पश्चिमी न्यू गिनी में पाया जाता है. जंगलों की कटाई से गीको के रहने के जगह खत्म होते जा रहे हैं. इससे उनकी संख्या कम हो रही है. इसके साथ ही बड़े पैमाने पर होने वाली तस्करी ने इस छिपकली को विलुप्त होने के कगार पर ला दिया है.