पटना पुलिस के हाथ बड़ी सफलता लगी है. पुलिस ने 34 साल पहले चोरी हुई 200 साल पुरानी अष्टधातु से बनी ठाकुर जी की मूर्ति को बरामद किया हैं. मूर्ति की कीमत 20 करोड़ बताई जा रही है. मूर्ति के साथ एक व्यक्ति को पुलिस ने गिरफ्तार किया है जबकि उसका दूसरा साथी भागने में कामयाब रहा. बताया जा रहा है कि यह मूर्ति 1985 में जहानाबाद के काको से चोरी की गई थी.
इन 34 वर्षों में यह मूर्ति कई तस्करों से गुजरने के बाद 2013 में नालंदा के बेन थाना के एकसार गांव में एक बगीचे से ग्रामीणों को मिली जिसे तस्करों ने छिपाया था. बाद में गांव वालों ने मूर्ति की स्थापना कर उसकी पूजा शुरू की. गांव वालों ने इस बात की जानकारी पुलिस को नहीं दी. लेकिन एक महीने पहले वहां से भी ये मूर्ति चोरी हो गई जिसकी रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई गई.
जहानाबाद के एबी शरण ने इस मूर्ति पर अपना दावा किया है. उनका कहना है कि ये मूर्ति उनके ठाकुरबाड़ी की है. 1985 में रामजी सीता जी के साथ ठाकुर जी और लक्ष्मणजी की मूर्ति चोरी हुई थी. जिसमें से रामजी और सीताजी की मूर्ति को पुलिस ने सिलीगुड़ी से बरामद कर लिया था. लेकिन लक्ष्मण जी की मूर्ति नहीं मिली थी. पटना के जक्कनपुर थाने में बरामद इस मूर्ति को पाने के लिए एबी शरण पिछले तीन दशकों से कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं. पुलिस का कहना है कि अदालत के जरिए ही यह मूर्ति उन्हें मिल सकती हैं.
जक्कनपुर थानेदार मुकेश कुमार वर्मा ने बताया कि सोमवार को मीठापुर बस स्टैंड के पास न्यू बाईपास पर वाहनों की चेकिंग चल रही थी. इस बीच एक बाइक पर सवार दो युवक को पुलिस ने देखा. पुलिस को देखते ही दोनों भागने लगे. जिसके बाद पुलिस ने बाइक सवार को खदेड़ना शुरू किया तो एक युवक भाग निकला. जबकि मीठापुर बस स्टैंड से आरोपी प्रेम पुलिस के हत्थे चढ़ गया.
पुलिस को तलाशी के दौरान आरोपी के थैले से अष्टधातु की मूर्ति बरामद की. फरार मूर्ति तस्कर सोनू की तलाश में देर रात जक्कनपुर थाने की पुलिस ने कई जगहों पर छापेमारी की, पुलिस उसके बाजार समिति स्थिति घर भी पहुंची, लेकिन वह नहीं मिला. मूलरूप से दरभंगा का रहने वाला सोनू इस मूर्ति को नेपाल ले जा रहा था. बस से रक्सौल जाने के लिए वह मीठापुर स्टैंड जा रहा था. उसने बताया कि उसकी बात दूसरी मूर्ति तस्करों से हो चुकी थी. आरोपी सोनू बाजार समिति में किराए में रहता है.
पुलिस के मुताबिक यह मूर्ति कई तस्कर गिरोहों और चोरों के हाथ होती हुई पुलिस के पास पहुंचीं. तस्करों ने इसे नालंदा के एकसार गांव में एक बागीचे में छिपाया था. जहां से ग्रामीणों को ये मूर्ति 2013 में मिली. ग्रामीण पिछले 6 वर्षों से नालंदा के एकसार गांव में इसकी स्थापना कर पूजा अर्चना भी कर रहे थे.
जहां से पिछले महीने फिर ये मूर्ति तस्करों के हाथ लगी थी. हांलाकि जब एकसार गांव में इस मूर्ति की पूजा हो रही थी. तब जहानाबाद के एबी शरण ने वहां जाकर मूर्ति की पहचान की लेकिन ग्रामीणों ने नहीं दी. एबी शरण का कहना है कि ये वही मूर्ति है जो उनके ठाकुरबाड़ी से चोरी हुई.