पिछले साल चर्चा में आए शिमला के गुड़िया गैंगरेप और मर्डर केस में सीबीआई ने हाई कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट पेश किया है. बताया जा रहा है कि कोर्ट इस रिपोर्ट से संतुष्ट है. इस केस की अगली सुनवाई 29 मई को होगी. कोर्ट ने सीबीआई को आदेश दिया है कि इस दिन फ्रेश स्टेटस रिपोर्ट पेश की जाए. सीबीआई निदेशक को पेशी से राहत मिल गई है.
पिछले दिनों सीबीआई ने 25 साल के एक आरोपी को गिरफ्तार किया था, जो जंगलों में पेड़ काटने का काम करता है. आरोपी की पहचान अनिल उर्फ नीलू के रूप में की गई है. अनिल उर्फ नीलू मूलतः मंडी जिला के बरोट का रहने वाला है. शिमला में पेड़ काटने का काम करता था. सीबीआई उसको लेकर शिमला के कोटखाई जंगल में लेकर गई थी.
यहां पर 7 जुलाई 2017 को 16 साल की स्कूली छात्रा गुड़िया का शव बरामद हुआ था. सीबीआई ने कुछ ऐसे भी लोगों से पूछताछ की थी जिनको शिमला पुलिस ने नजरअंदाज किया था. सीबीआई ने जब एक पेड़ काटने वाले मजदूर से पूछताछ की, तो उसने अनिल का नाम उगल दिया. इसके बाद सीबीआई ने अनिल को अपने हिरासत में ले लिया.
बताते चलें कि सीबीआई ने शिमला पुलिस द्वारा पकड़े गए आरोपियों को मुजरिम नहीं माना था और अपनी जांच नए सिरे से शुरू की थी. इसके बाद 8 अगस्त 2017 को हिमाचल पुलिस के आईजी समेत आठ पुलिस वालों को गिरफ्तार किया गया था. पुलिस पर 18 अगस्त की रात एक आरोपी सूरज को हिरासत में ले कर पीट-पीटकर मारने का आरोप है.
जानिए क्या है पूरा मामला
पिछले साल 4 जुलाई को आरोपी राजेंद्र उर्फ राजू अपने दोस्त आशीष और सुभाष के साथ कहीं जा रहा था. उसने 10वीं में पढ़ने वाली गुड़िया को देखा और गाड़ी रोककर उसे घर तक लिफ्ट देने की बात कही. गुड़िया इलाके में नई आई थी. राजू को जानती थी. वह अक्सर स्कूली बच्चों को ले जाता था, जिससे शक नहीं हुआ.
नशे में की थी हैवानियत
पुलिस के मुताबिक, पीड़िता उनकी गाड़ी में बैठ गई. राजू और उसके दोस्त शराब के नशे में धुत थे. उन्होंने बीच जंगल में सामान उतारने का बहाना बनाते हुए गाड़ी रोक दी. मासूम के साथ गैंगरेप किया. अपने तीन साथियों को भी वहां बुला लिया. गुड़िया की बेरहमी से हत्या कर उसकी लाश को जंगल में फेंक दिया. गैंगरेप के दौरान हैवानियत की इंतेहा कर दी.