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निर्भया के दोषियों के पास फांसी से बचने के लिए अब ये '3 रास्ते'

निर्भया गैंगरेप केस में फांसी की सजा पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर के बाद अब सवाल उठ रहा है कि क्या निर्भया के चारों गुनहगारों को फांसी पर चढ़ा दिया जाएगा या उन्हें उनके अंजाम तक पहुंचने में अभी और वक्त लगेगा. कानूनी जानकारों के मुताबिक, आरोपी अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और मुकेश सिंह के पास मौत की सजा से बचने के बहुत ही सीमित विकल्प रह गए हैं.

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दोषियों के पास फांसी से बचने के ये 3 रास्ते हैं
दोषियों के पास फांसी से बचने के ये 3 रास्ते हैं

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निर्भया गैंगरेप केस में फांसी की सजा पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर के बाद अब सवाल उठ रहा है कि क्या निर्भया के चारों गुनहगारों को फांसी पर चढ़ा दिया जाएगा या उन्हें उनके अंजाम तक पहुंचने में अभी और वक्त लगेगा. कानूनी जानकारों के मुताबिक, आरोपी अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और मुकेश सिंह के पास मौत की सजा से बचने के बहुत ही सीमित विकल्प रह गए हैं.

1- पुनर्विचार याचिका
निर्भया से गैंगरेप और हत्या के चारों दोषियों को सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की खंडपीठ ने फांसी की सजा सुनाई है. अब मौत से बचने के लिए ये चारों बड़ी खंडपीठ के समक्ष पुनर्विचार याचिका दायर कर सकते हैं. बड़ी खंठपीठ से आशय है, तीन जजों से ज्यादा जजों वाली खंडपीठ.

2- राष्ट्रपति के सामने दया याचिका
अगर दोषियों की पुनर्विचार याचिका भी खारिज हो जाती है तो ये चारों राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दाखिल कर अपनी जान बख्शने की गुहार लगा सकते हैं. इसके बाद यह फैसला पूरी तरह से राष्ट्रपति के ऊपर है कि वह इनकी फांसी की सजा को बरकरार रहने दें या फिर उसे उम्रकैद में तब्दील कर दें. राष्ट्रपति मंत्रिमंडल की सलाह पर इस बारे में फैसला लेते हैं.

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3- क्यूरेटिव पिटीशन
क्यूरेटिव पिटीशन तब दाखिल की जाती है जब किसी दोषी की राष्ट्रपति के पास भेजी गई दया याचिका और सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दोनों खारिज हो गई हो. इसके तहत सुप्रीम कोर्ट अपने ही फैसलों पर पुनर्विचार करने के लिए तैयार हो जाता है लेकिन याचिकाकर्ता को बताना होता है कि वो किस आधार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती दे रहा है. याकूब मेनन की क्यूरेटिव पिटीशन पर अंतिम वक्त तक सुनवाई की गई थी.

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