इन दिनों गांधीनगर के अडालज के पास आए दिन स्लम में पुलिस आती जाती रहती है. दरअसल वजह भी बेहद खास है. गांधीनगर के इस झुग्गी में रहने वाले एक दो महीने का बच्चा, दो बार अगवा हो चुका है. हालांकि पुलिस की मेहनत के बाद दोनों बार यह बच्चा वापस आ गया. पुलिस ने बच्चे को उसके माता पिता को सौंप दिया है. बच्चे के माता पिता अडालज के त्रिमंदिर के पास झुग्गियों में रहते हैं.
अप्रैल महीने में जब ये बच्चा महज दो दिन का था, तब इसे पहली बार अस्पताल से अगवा किया गया. गांधीनगर लोकल क्राइम ब्रान्च के पुलिस इंस्पेक्टर एचपी झाला के मुताबिक जब ये महिला अस्पताल में बच्चे को जन्म देने गयी थी, तब उसे एक महिला मिली. जिसने खुद को नर्स बताया. बच्चे के जन्म के दूसरे दिन वजन करवाने के बहाने नर्स बच्चे को लेकर भाग गई.
बाद में पुलिस ने इस बच्चे को गुजरात के बनासकांठा से अपहरणकर्ताओं के पास से छुड़ाया था. इस दौरान पुलिस ने निसंतान दंपति को गिरफ्तार कर लिया. ये महज एक हादसा ही था कि दो महीने बाद पांच जून को फिर से इसी बच्चे को दो लोगों ने किडनैप कर लिया.
पुलिस इंस्पेक्टर झाला का कहना है कि जब उसे दोबारा किडनैप किया गया तो हमने 700 से ज्यादा सीसीटीवी के जरिए पूरी छानबीन की. तब राजस्थान के बांसवाडा में एक निसांतन दंपति के पास से बच्चा बरामद हुआ. आरोपी दिनेश और सुधा कटारा की शादी के सात साल बीतने के बावजूद उन्हें बच्चा नहीं था.
बच्चे की मां जब पास में कूड़ा इकट्ठा कर रही थी, तब ही दिनेश की नजर बच्चे पर गयी और वह बच्चा लेकर वहां से फरार हो गया. जिसके बाद पुलिस ने हाइवे से लगे गांधीनगर, साबरकांठा, मेहसाणा, और अरवली के अलावा राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में भी गहरी छानबीन की और बच्चे का पता लगाया. फिलाहल निसंतान पति-पत्नी हवालात में बंद हैं.
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पुलिस इंस्पेक्टर झाला का कहना है कि आम तौर पर इस तरह से झुग्गियों में रहने वाले बच्चों के अपहरण या चोरी होने के कई मामले सामने आते हैं. क्योंकि बच्चे के माता-पिता मजदूरी के लिए जाते हैं और इस दौरान उनके बच्चे अकेले में रहते हैं. पुलिस का कहना है कि हाईवे की साइड पर ये झुग्गियां बनी हुई हैं. हाइवे सुरक्षा के लिहाज से यहां एक पुलिस पॉइंट भी बनाया जाएगा. साथ ही पुलिस ने बच्चे की मां और पिता को अलग अलग पुलिस वालों के नंबर भी दिये हैं. ताकि अगर कुछ दिक्कत आती है तो वो सीधा पुलिस को फोन कर सकें.