इशरत जहां एनकाउंटर मामले में सीबीआई कोर्ट ने डीजी वंजारा और एनके अमीन को आरोप मुक्त कर दिया. गुजरात सरकार ने दोनों पूर्व अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था. इसलिए विशेष अदालत ने दोनों को आरोप मुक्त कर दिया.
दरअसल, सीबीआई ने सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी डीजी वंजारा और एनके अमीन के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी थी. लेकिन गुजरात सरकार ने मार्च 2019 में ही उन दोनों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था. उसी के मद्देनजर सीबीआई कोर्ट ने गुरुवार को उन दोनों को आरोप मुक्त किए जाने का अहम फैसला सुनाया.
केंद्रीय जांच ब्यूरो ने विशेष सीबीआई अदालत से कहा था कि इशरत जहां और तीन अन्य लोगों को फर्जी मुठभेड़ में मारने वाले पूर्व अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दी जाए. लेकिन गुजरात सरकार ने उन दोनों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं दी.
गौरतलब है कि इससे पहले सीबीआई की विशेष अदालत ने दोनों पूर्व अधिकारियों को बरी करने की मांग करने वाले आवेदन को भी खारिज कर दिया. तब अदालत ने सीबीआई से पूछा था कि वो अपना रूख स्पष्ट करें. क्या वो दोनों पूर्व अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए राज्य सरकार से अनुमति चाहते हैं या नहीं.
फिर सीबीआई ने दोनों पूर्व अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने के लिए राज्य सरकार को पत्र लिखा था. लेकिन गुजरात सरकार ने बीते मार्च में सीबीआई की मांग को ठुकरा दिया था. वंजारा और अमीन उन सात आरोपियों में शामिल हैं, जिनके खिलाफ इस मामले में सीबीआई ने आरोपपत्र दाखिल किए थे. वंजारा पूर्व डीआईजी हैं और एनके अमीन रिटार्यड एसपी है.
गौरतलब है कि 15 जून 2004 को मुंब्रा निवासी 19 वर्षीय इशरत जहां, जावेद शेख उर्फ प्रणेश पिल्लै, अमजद अली अकबर अली राणा और जीशान जौहर को अहमदाबाद के पास पुलिस ने एक फर्जी मुठभेड़ में मार दिया था.