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गुर्जर आरक्षण आंदोलन: भरतपुर में धारा 144 लागू, इंटरनेट सेवा बंद

राजस्थान के भरतपुर में गुर्जर आरक्षण के मुद्दे पर दो गुटों की अलग-अलग महापंचायतें हो रही हैं. इनमें एक पंचायत आंदोलन के नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के नेतृत्व में अड्डा गांव, तो दूसरी छत्तीसा के पंच-पटेलों की ओर से मोरोली स्थित टोंटा बाबा मंदिर पर होगी.

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आंदोलन के नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला
आंदोलन के नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला

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राजस्थान के भरतपुर में गुर्जर आरक्षण के मुद्दे पर दो गुटों की अलग-अलग महापंचायतें हो रही हैं. इनमें एक पंचायत आंदोलन के नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के नेतृत्व में अड्डा गांव, तो दूसरी छत्तीसा के पंच-पटेलों की ओर से मोरोली स्थित टोंटा बाबा मंदिर पर होगी. गुर्जर आरक्षण आंदोलन के मद्देनजर पुलिस और प्रशासन ने भी अपनी कमर कस ली है.

पूरे जिले में धारा 144 लागू कर दी गई है. मोबाइल इंटरनेट सेवाएं आज शाम तक के लिए बंद कर दी गई हैं. इसके साथ ही सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं. पुलिस और अर्धसैनिक बलों की टुकड़ियां तैनात की गई हैं. रोडवेज ने बयाना से आगे करौली और हिंडौन मार्ग पर मंगलवार सुबह से ही बसों का संचालन बंद करने का फैसला किया है.

महापंचायत के लिए सोमवार को अड्डा गांव में ग्रामीणों ने खेतों को ठीक करके महापंचायत के लिए टैंट लगा दिए. वहीं मोरोली के टोंटा बाबा मंदिर पर भी महापंचायत को लेकर तैयारियां की गई. दोनों महापंचायतों के लिए प्रशासन से सशर्त अनुमति दी हैं. रेलवे पुलिस भी मुस्तैद है. आरपीएसएफ की एक कंपनी बुलाई गई है. स्टेशनों पर सुरक्षाकर्मी तैनात हैं.

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गुर्जर आंदोलन के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के घर पर राजस्थान सरकार से बातचीत के लिए जाने से पहले बंद कमरे में दो घंटे मीटिंग हुई. सरकार से बातचीत के लिए संघर्ष समिति से जुडे 15 सदस्यों की कमेटी बनाई है. राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ताओं से अलग-अलग बातचीत की जा रही है, ताकि सुरक्षा और कानून व्यवस्था बनी रहे.

बताते चलें कि आरक्षण के लिए गुर्जर समाज के लोग अब तक पांच बार आंदोलन कर चुके हैं. हर बार करोड़ों का नुकसान होता है. कई लोगों की जान चली जाती है. साल 2007 में 29 मई से 5 जून सात दिन गुर्जरों में आंदोलन किया था. इससे 22 जिले प्रभावित रहे और 38 लोग मारे गए. इसके बाद 23 मई से 17 जून 2008 तक 27 दिन तक आंदोलन चला.

22 जिलों के साथ 9 राज्य प्रभावित रहे. 30 से ज्यादा लोगों की मौत हुई. फिर गुर्जर आंदोलन 20 दिसंबर 2010 को फिर सुलगा. बयाना में रेल रोकी गई थी. 21 मई 2015 को कारवाड़ी पीलुकापुरा में रेलवे ट्रैक रोका. गुर्जर आंदोलन में 72 लोगों की मौत हो गई. 145 करोड़ रुपये की सरकारी संपत्तियों और राजस्व का नुकसान दर्ज किया गया था.

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