उत्तर प्रदेश के हापुड़ में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर एक व्यक्ति की हत्या किए जाने की घटना से जुड़ी एक तस्वीर को लेकर यूपी पुलिस की जमकर आलोचना हुई. सोशल मीडिया पर वायरल हुई इस तस्वीर को लेकर यूपी पुलिस को माफी तक मांगनी पड़ी.
सोशल मीडिया पर लोगों ने जमकर यूपी पुलिस पर भड़ास निकाली और इसे 'शर्मनाक' बताया. तस्वीर में तीन पुलिसकर्मी नजर आ रहे हैं और कुछ गांव वाले बुरी तरह घायल एक शख्स को हाथ-पैरों से पकड़कर लटकाए ले जाते दिख रहे हैं.
करीब-करीब अधमरे हो चुके व्यक्ति का सीना जमीन की ओर है, पेट लगभग जमीन को छू रहा है और गर्दन लुढ़की हुई है. तीनों पुलिसकर्मी इससे पूरी तरह बेपरवाह नजर आ रहे हैं. एक पुलिसकर्मी मोबाइल में बिजी है और दूसरा आराम से भीड़ के साथ चल रहा है. वहीं तीसरा पुलिसकर्मी किसी को फोटो लेने से मना करता लग रहा है.
The state of UP: lawlessness, mayhem and targeted killings in full view of the police, then dragging the victim is the model mode of ‘governance’ of the BJP. Make no mistake, It is certain communities put under the hate radar - it will hurt us all, eventually. #Hapur #UP pic.twitter.com/wMY1QNZuM9
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) June 22, 2018
तस्वीर पर सोशल मीडिया में फैली ऐसी अफवाहें
दरअसल यह तस्वीर गोकशी के शक में भीड़ द्वारा दो व्यक्तियों की बेरहमी से पिटाई के बाद की है. तस्वीर में अधमरा दिख रहा व्यक्ति कासिम है, जिसकी बाद में मौत हो जाती है. सोशल मीडिया पर इस तस्वीर के साथ ऐसी बातें शेयर की गई हैं कि भीड़ एक मुस्लिम शख्स को पीटकर घसीट रही है और योगी आदित्यनाथ की पुलिस मूकदर्शक बनी रहती है.
बता दें कि यह तस्वीर 18 जून को हापुड़ के पिलखुआ थाना क्षेत्र के बछेड़ी खुर्द गांव की है, जहां भीड़ ने गोकशी के शक में 45 वर्षीय कासिम और 65 वर्षीय समीउ्ददीन नाम के दो मुस्लिम व्यक्तियों की बेरहमी से पिटाई कर दी. कासिम की बाद में मौत हो गई, जबकि समीउद्दीन अभी भी अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रहा है.
For what he has done to this nation, Bhakts can only hope that Modi doesn't end up this way...😠 pic.twitter.com/RR58xWabff
— Sanjiv Bhatt (IPS) (@sanjivbhatt) June 21, 2018
तस्वीर में दिख रहे पुलिसकर्मियों का क्या कहना है?
लेकिन क्या वास्तव में जैसा तस्वीर में दिख रहा है पुलिस ने इस मामले में अमानवीयता बरती? आजतक ने इसकी जमीनी हकीकत खंगालने की ठानी. हमारी जांच में पता चला कि यह तस्वीर सही है और इस तस्वीर में किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की गई है.
हमारे स्थानीय संवाददाता ने तस्वीर में दिख रहे तीनों पुलिसकर्मियों की पहचान भी कर ली है. तस्वीर में सबसे आगे किसी को रोकते से दिख रहे पुलिसकर्मी हैं कॉन्स्टेबल अशोक. कॉन्स्टेबल अशोक की बाईं ओर मोबाइल में व्यस्त दिख रहे पुलिसकर्मी हैं इंस्पेक्टर अश्वनी कुमार खारी. और कॉन्स्टेबल अशोक के दाईं ओर दिख रहे पुलिसकर्मी हैं कॉन्स्टेबल कन्हैया.
हमने जब इंस्पेक्टर अश्वनी से इस बारे में पूछा कि कासिम को इस तरह लटकाकर क्यों ले जाया जा रहा है, तो उन्होंने बताया कि यह तस्वीर भीड़ से कासिम को बचाए जाने के ठीक बाद की है. भीड़ की पिटाई से लहुलुहान कासिम खेत में पड़ा हुआ था, जहां से उसे सड़क पर खड़े पुलिस वाहन तक ले जाया जा रहा है.
लेकिन जब हमने पूछा कि कासिम को इस तरह घसीट कर क्यों ले जाया जा रहा है, तो उन्होंने बताया कि कासिम के सिर के पिछले हिस्से में बड़ा सा जख्म हो गया था, जिससे खून बह रहा था. जख्म से ज्यादा खून न बह जाए, इसीलिए कासिम को पेट के बल लटकाकर पुलिस वाहन तक पहुंचाया गया.
इंस्पेक्टर अश्वनी ने बताया कि उन्होंने कासिम को तुरंत हॉस्पिटल पहुंचाया, लेकिन जख्म गहरा होने के चलते कासिम की मौत हो गई. तस्वीर में दिख रहे दो अन्य पुलिसकर्मियों से भी हमने बात की और उन्होंने भी यही बातें बताईं.
'पुलिसकर्मियों की मंशा पर सवाल उठाना गलत'
जब हापुड़ के SP से इस संदर्भ में बात की गई तो उन्होंने इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया कि भीड़ पुलिस की मौजूदगी में कासिम को घसीट रही थी. हालांकि उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि बुरी तरह घायल किसी व्यक्ति को ले जाने का यह तरीका असंवेदनशील है.
उन्होंने यह भी कहा कि पुलिसकर्मियों की मंशा पर सवाल उठाना सही नहीं होगा. उन्होंने कहा कि चूंकि मौके पर कोई एंबुलेंस नहीं था, जिसके चलते कासिम को इस तरह उठाकर ले जाना पड़ा होगा.
अनदेखी तस्वीरों, स्थानीय लोगों ने खोला राज
पुलिस के इन दावों की पड़ताल के लिए हमने घटना की और तस्वीरें खंगालीं और स्थानीय लोगों से भी संपर्क किया. स्थानीय लोगों की मदद से हमें घटना की कुछ ऐसी तस्वीरें मिलीं जो अब तक न तो न्यूज चैनलों और न ही सोशल मीडिया में सामने आ सकी हैं.
इसी तरह की एक तस्वीर में पुलिसकर्मी किसी घायल व्यक्ति को पुलिस वाहन में रखने की कोशिश कर रहे हैं. इस तस्वीर में कुछ वे शख्स भी नजर आ रहे हैं, जो वायरल हुई तस्वीर में दिखाई दिए. तस्वीर में साफ दिख रहा है कि पुलिसकर्मी बेहद सावधानी से घायल को वाहन में डाल रहे हैं. यह तस्वीर निश्चित तौर पर पुलिस के दावे को सच साबित करती है.
घटना का एक VIDEO भी आया सामने
हमने घटना से जुड़ा एक वीडियो भी हासिल कर लिया है. बताया जा रहा है कि यह वीडियो पुलिस के घटनास्थल पर पहुंचने के ठीक बाद का है. इस वीडियो में देखा जा सकता है कि ग्रामीण बेहद गुस्से में हैं और पुलिसकर्मी उन्हें शांत करने की कोशिश कर रहे हैं.
इस वीडियो को बनाए जाने के ठीक बाद पुलिस खेत में बुरी तरह घायल पड़े कासिम को ग्रामीणों की मदद से उठवाकर पुलिस वाहन में रखवाती है. 18 जून की इस घटना से जुड़ी तस्वीर अगले दो-तीन दिन में सोशल मीडिया पर तहलका मचा रही होती है और यूपी पुलिस तथा योगी सरकार पर चारों ओर से निशाना साधा जा रहा है.
पुलिस पर ये आरोप भी लगे
सोशल मीडिया के जरिए इस तरह की अफवाहें भी फैलाने की कोशिश की गईं कि पुलिस ने लिंचिंग के इस मामलों की FIR को हल्का करने की कोशिश की और इसे मोटरसाइकिल एक्सिडेंट के बाद का झगड़ा बताया है.
चारों तरह से आलोचनाएं झेलने के बाद आखिरकार यूपी पुलिस को माफी मांगनी पड़ती है और तस्वीर में दिख रहे तीनों पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया गया है. खुद यूपी के DGP ने लोगों से माफी मांगी है.