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अपनी गुफा में महिलाओं को ऐसे 'माफी' देता था राम रहीम

बलात्कार के दोषी डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम की रासलीला की कई कहानियां निकल कर सामने आ रही हैं. उसका घिनौना चेहरा अब बेनकाब होकर दुनिया के सामने आ चुका है. इसी बीच राम रहीम के बारे में एक ऐसा खुलासा हुआ जिसे जानकर हर कोई हैरान है. दरअसल, बाबा अपनी गुफा में जिस महिला को लेकर जाता था, वहां उसे माफी मिल जाती थी.

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डेरे में रेप का कोडवर्ड था 'बाबा जी की माफी'
डेरे में रेप का कोडवर्ड था 'बाबा जी की माफी'

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बलात्कार के दोषी डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम की रासलीला की कई कहानियां निकल कर सामने आ रही हैं. उसका घिनौना चेहरा अब बेनकाब होकर दुनिया के सामने आ चुका है. इसी बीच राम रहीम के बारे में एक ऐसा खुलासा हुआ जिसे जानकर हर कोई हैरान है. दरअसल, बाबा अपनी गुफा में जिस महिला को लेकर जाता था, वहां उसे माफी मिल जाती थी.

ये था माफी का मतलब

खुद को रॉकस्टार समझने वाले बाबा के डेरे में बलात्कार शब्द का के लिए एक कोड वर्ड था. बाबा अपनी गुफा में जिन महिलाओं के साथ अश्लील हरकतें करता था, उसे गुरमीत राम रहीम की ओर से मिली 'माफी' कहा जाता था. जब भी किसी महिला या युवती को राम रहीम के आवास यानी उसकी गुफा में भेजा जाता था, तो बाबा के चेले उसे 'बाबा की माफी' बताते थे.

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केवल महिला सेवक होती थीं तैनात

खास बात ये है कि बाबा राम रहीम की गुफा में सेवा के लिए केवल महिला सेवकों की तैनाती की जाती थी. वहां एक बार में 209 सेविकाओं को रखा जाता था. यही नहीं वहां उसके आस-पास सिर्फ महिला अनुयायी ही तैनात रहती थीं. सिरसा के डेरा मुख्यालय में बाबा का शिकार बनी महिलाओं ने पुलिस के सामने अपना दर्द बंया करते हुए बाबा की इन करतूतों का खुलासा किया है. उन्होंने बताया कि डेरा प्रमुख अपने आवास में महिलाओं के साथ रेप करता था.

भक्तों की बेटियों को बनाया जाता था सेवक

कई लड़कियां तो सिर्फ इस वजह से बाबा के डेरे में रहती थी, क्योंकि उनके घरवाले राम रहीम के भक्त थे. यही कारण था कि वह डेरा नहीं छोड़ सकती है. एक साध्वी ने बताया कि जब वह राम रहीम के आवास से बाहर आईं तो उनसे कई लोगों ने पूछा कि क्या तुम्हें बाबा की माफी मिली. पहले उन्हें समझ नहीं आया, लेकिन बाद में पता लगा कि माफी का मतलब क्या होता है.

कौन है गुरमीत राम रहीम सिंह?

गुरमीत राम रहीम का जन्म 15 अगस्त, 1967 को राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के गुरुसर मोडिया में जाट सिख परिवार में हुआ था. जब ये सात साल के थे तो 31 मार्च, 1974 को तत्कालीन डेरा प्रमुख शाह सतनाम सिंह ने इन्हें नाम दिया था. 23 सितंबर, 1990 को शाह सतनाम सिंह ने गुरमीत सिंह को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया.

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