मर्सिडीज हिंट एंड रन केस में दिल्ली किशोर न्याय बोर्ड ने एक अहम फैसला किया है. इस फैसले के मुताबिक मामले के नाबालिग आरोपी पर एक निचली अदालत में वयस्क के रूप में मुकदमा चलेगा. दिल्ली पुलिस ने इस संबंध में एक याचिका लगाकर आरोपी पर वयस्क की तरह केस चलाए जाने की अपील की थी.
दिल्ली किशोर न्याय बोर्ड ने फैसला सुनाते हुए कहा कि नाबालिग आरोपी को अपना अपराध स्वीकार करते समय उसके परिणाम के बारे में पता था. फैसला सुनाने वाले बोर्ड के पैनल एक मनोवैज्ञानिक और समाजशास्त्री को भी शामिल किया गया था.
JJB ने अपने आदेश का मतलब इस कानून के साथ स्पष्ट किया. जिसके मुताबिक इस किशोर को घटना के वक्त उसके बाद के परिणाम के बारे में पता था. इसलिए किशोर पर अपराध करने का इरादा रखने का मामला बनाया जा सकता है. इसी के चलते अब सत्र न्यायालय में आईपीसी की धारा 304 के तहत यह मामला नए सिरे से शुरू करने की कोशिश की जाएगी.
सरकार के कानून में संशोधन करने के बाद पहली बार नाबालिग किशोर पर एक वयस्क के रूप में केस चलाया जाएगा. किशोर अधिनियम की धारा 15 (संशोधन) को फैसले के साथ पढ़ा गया. जिसके अनुसार अगर सोलह वर्ष या उससे अधिक की आयु के किशोर ने कोई जघन्य अपराध किया है, तो ऐसे मामलों में बोर्ड ऐसा अपराध करने की उसकी मानसिक और शारीरिक क्षमता के संबंध में एक प्रारंभिक आंकलन करेगा. और अपराध के परिणामों और हालातों के बारे में भी अध्यन करेगा. ताकि मामले को पूरी तरह समझा जा सके.
बोर्ड एक आदेश पारित कर इस तरह के एक आंकलन के लिए अनुभवी मनोवैज्ञानिकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं या अन्य विशेषज्ञों की सहायता ले सकता है.