निर्भया के हत्यारों का दिल्ली की अदालत से 'डेथ- वारंट' जारी होते ही तिहाड़ जेल प्रशासन ने फांसी दिलवाने की तैयारियां युद्ध-स्तर पर शुरू कर दी हैं. दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने फांसी के लिए 22 जनवरी की तारीख तय की है. 16 दिसंबर, 2012 की रात निर्भया के साथ दरिंदगी हुई थी. उस दिन 23 वर्षीय पैरामेडिकल की छात्रा निर्भया अपने एक दोस्त के साथ साकेत स्थित सेलेक्ट सिटी मॉल में फिल्म देखने गई थी.
वहां लौटते समय वो ऑटो से मुनिरका पहुंचे और वहां से एक सफेद रंग की बस से घर के लिए रवाना हुए. दोनों में किसी ने नहीं सोचा था कि वो रात और वो सफर इतना दर्दनाक साबित होगा. बस में मौजूद लोगों ने निर्भया के साथ रेप किया और उसके दोस्त को भी जमकर पीटा. इसके बाद निर्भया और उसके दोस्त को वसंत विहार में झाड़ियों में फेंक दिया. यहां एक बाइक वाले ने पुलिस को सूचना दी जिसके बाद उन्हें सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया.
सफदरजंग अस्पताल में डॉक्टर विपुल कंडवाल नाइट शिफ्ट में थे. वो बताते हैं कि निर्भया की हालत देखकर वो चौंक गए थे. उन्होंने कहा, 'निर्भया के साथ जिस तरह की बर्बरता हुई थी वो मेरी सोच से परे थी.' उन्होंने कहा था कि कैसे कोई इस तरह की दरिंगदी कर सकता है और इतना क्रूर हो सकता है.
डॉक्टर ने बताया कि उनका पहला प्रयास बह रहे खून को रोकना था. इसके लिए उन्होंने सर्जरी शुरू की. लेकिन जल्द ही उन्होंने महसूस किया कि निर्भया को बड़ी सर्जरी की जरूरत थी, क्योंकि घाव काफी गहरे थे. आंतों में भी गहरे घाव थे.
डॉक्टर के मुताबिक अगले 2-3 हफ्तों तक निर्भया को बचाने के लिए दिन-रात प्रयास किए गए. इस बीच पीड़ित लड़की की हालत नाजुक होती जा रही थी. उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था. निर्भया की हालत संभल नहीं रही थी. लिहाजा उसे इलाज के लिए सिंगापुर भेजा गया. वहां उन्हें माउन्ट एलिजाबेथ अस्पताल में भर्ती कराया गया.
लेकिन यह प्रयास भी नाकाम साबित हुआ और निर्भया ने 29 दिसंबर की रात दम तोड़ दिया.
इस मामले में सभी छह आरोपियों को गिरफ्तार किया गया और दुष्कर्म व हत्या का आरोप लगाया गया. आरोपियों में से एक नाबालिग था, जो जुवेनाइल अदालत से सुनाई गई सजा भुगतकर अब रिहा हो चुका है. जबकि एक अन्य आरोपी ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी. बाकी बचे चार दोषियों को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है.