यूपी के पीलीभीत में एक महिला को दरिंदों ने जिंदा जला दिया, तो बागपत में एक आदमी ने अपनी बीवी की हत्या कर दी. मामला पंचायत में गया तो पंचों ने फैसला सुनाया कि हत्यारोपी पति को 10 जूते मारकर मामले को खत्म कर दिया जाए. पंचायत ने लड़की के घर वालों को भी धमकाया कि यदि वे पुलिस के पास गए, तो उनकी खैर नहीं. 21वीं सदी में क्या अब महिलाओं की जिंदगी की बस यही अहमियत रह गई है.
जी हां, 21वीं सदी में एक महिला के अहमियत की बोली लगाई गई है. दस जूते की बोली. महिला के हत्यारे को बस दस जूते मारने की सजा. बागपत जिले में एक गांव छपरौली है. यहां से कभी किसान नेता चौधरी चरण सिंह चुनाव लड़ते थे. यहां एक परिवार की बेटी कोमल की दो साल पहले शादी हुई थी. दहेज को लेकर ससुराल वाले परेशान करने लगे. 25 जनवरी को कोमल के पति और जेठ ने उसको जलाकर मार डाला.
हक्के-बक्के रह गए लोग
कोमल के मायके वालों ने जब इस मामले में इंसाफ की गुहार लगाई तो ससुराल वालों ने इस पर पंचायत बिठा दी. पंचायत में कोमल के परिवार वालों ने इल्जाम लगाया कि उसका पति उसे दहेज को लेकर मारता-पीटता था. 25 जनवरी को उसने मायके जाने की जिद की तो उसके पति और जेठ ने मिलकर जलाकर मार डाला. पंचों ने पूरा मामला सुना. इसके बाद जो फरमान सुनाया, उसे सुनकर हर कोई हक्का-बक्का रह गया.
इंसाफ के नाम पर मजाक
आरोपों के मुताबिक सरपंच ने कहा कि कोमल के पति योगेश ने गलत किया है. उसे 10 जूतों की सजा दी जाती है. अब ये मामला यहीं खत्म हो जाता है. कोई पुलिस के पास नहीं जाएगा. ये इंसाफ नहीं, इंसाफ के नाम पर मजाक हुआ था. पंचायत के इस फरमान के बाद कोमल का परिवार सदमे में है. पुलिस के पास जाने की हिम्मत नहीं हो रही है, क्योंकि इन्हें धमकी दी जा रही है कि यदि मामले को पुलिस के पास ले गए तो अंजाम बुरा होगा.