40 वर्षीय इंजीनियर और भारतीय नागरिक, जिसे अल-कायदा के शीर्ष नेता को धन देने के मामले में अमेरिकी अदालत ने 2018 में दोषी ठहराया था, सूत्रों के अनुसार अब उसे विशेष विमान से भारत भेज दिया गया है. अप्रैल 2018 में इब्राहिम मोहम्मद जुबैर अपने 2 अन्य साथियों के साथ इराक, अफगानिस्तान और दुनियाभर में अमेरिकी सैन्यकर्मियों के खिलाफ हिंसक जिहाद का समर्थन करने के प्रयास में अनवर अल-अवलाकी को हजारों डॉलर की फंडिंग के लिए दोषी ठहराया गया था.
जांच एजेंसियों के मुताबिक याहया फारुख मोहम्मद और मोहम्मद इब्राहिम जुबैर दो भाई हैदराबाद के अल्वल इलाके के रहने वाले हैं. फारुख और जुबैर अमेरिका पढ़ाई करने चले गए थे जहां दोनों भाइयों को अमेरिका की नागरिकता मिल गई थी. दोनों ने वहीं शादी कर ली थी और अमेरिका में रहने लगे थे. अमेरिका में रहते हुए दोनों आतंकी संगठन अल कायदा से प्रभावित हो गए थे, और अल कायदा से जुड़ गए थे.
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दोनों भाइयों पर टेरर फंडिंग के अलावा आतंकवाद से जुड़े कई मामलों में एफआईआर दर्ज हुई थी. फारुख मोहम्मद को 27 साल की सजा हुई था जबकि इब्राहिम मोहम्मद जुबैर को 5 साल की सजा अमेरिका की कोर्ट से हुई थी. 5 साल की सजा पूरी होने के बाद मोहम्मद इब्राहिम जुबैर को भारत डिपोर्ट कर दिया गया. इब्राहिम बुधवार सुबह 5:30 बजे अमृतसर पहुंचा था. जबकि उसका भाई फारुख अब भी अमेरिका की जेल में ही कैद है.
भारत में हो सकता है रिहा
इंडिया टुडे को पता चला है कि अमेरिका के एक विशेष विमान के जरिए इब्राहिम को भारत लाया गया और उसे एक क्वारनटीन सेंटर में रखा गया है. सूत्रों का कहना है कि भारत में उसके खिलाफ एक भी मामला दर्ज नहीं है, ऐसे में क्वारनटीन सेंटर में रहने की अवधि पूरी होने के बाद उसे रिहा किया जा सकता है.
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इब्राहिम को दोषी ठहराए जाने से पहले जेल में बिताए गए समय सहित 60 महीने की जेल की सजा सुनाई गई थी. कोर्ट ने यह भी आदेश दिया था कि उसकी सजा पूरी होने पर, इब्राहिम को अमेरिका की धरती पर फिर से एंट्री करने पर आजीवन प्रतिबंध लगाने के साथ भारत भेजा जाएगा.