अमेरिका जाकर अच्छी जिंदगी की ख्वाहिश रखने वाले भारतीयों में कई ऐसे हैं, जो वैध कागजात के बगैर वहां जाने की कोशिश करते हैं, जिनमें ज्यादातर पकड़े जाते हैं और उन्हें डिटेंशन सेंटर भेज दिया जाता है. आज की तारीख में अमेरिका के कई डिटेंशन सेंटर्स में 2382 भारतीय अवैध नागरिक के रूप में कैद हैं.
अमेरिका के इमीग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट (आईसीई) ने यह जानकारी अमेरिका स्थित एक भारतीय गैर सरकारी संगठन नॉर्थ अमेरिकन पंजाबी संघ के निदेशक सतनाम सिंह चाहल को दी है. चहल ने फ्रीडम ऑफ इनफॉर्मेशन एक्ट के तहत यह जानकारी मांगी थी.
चहल का मानना है कि डिटेंशन सेंटर्स में कैद भारतीयों में ज्यादातर पंजाबी हो सकते हैं क्योंकि पंजाबियों में विदेश में बसने का क्रेज बहुत ज्यादा है.
सतनाम सिंह चहल के मुताबिक गैर कानूनी तरीके से अमेरिका में प्रवेश करने वाले भारतीय मैक्सिको की सीमा से अमेरिका में प्रवेश करते हैं जिनकी जांच टैक्सास में की जाती है. उसके बाद उनको डिटेंशन सेंटर्स भेजा जाता है. ज्यादातर लोगों को कैलिफोर्निया में रखा गया है. इसके अलावा एडेलनतो, एफसीआई विक्ट्रीविले, कलेक्सिको, एरिजोना, फ्लोरेंस, सेंट लुइस और वाशिंगटन के सेंटर्स में भी भारतीय कैद हैं.
मिडल ईस्ट में कैद 100 पंजाबी महिलाएं
दुबई स्थित एक गैर सरकारी भारतीय संस्था सरबत दा भला के मुताबिक मिडिल ईस्ट देशों में 100 से अधिक पंजाबी महिलाएं अमीर शेखों की कैद में हैं जो स्वदेश लौटना चाहती हैं.
सरबत दा भला के अध्यक्ष एसपीएस ओबेरॉय के मुताबिक ये महिलाएं जालसाजी और लालची ट्रैवल एजेंटों के चंगुल में फंसकर वहां नारकीय जीवन जी रही हैं. 100 से अधिक महिलाओं ने हाल ही मस्कट स्थित भारतीय दूतावास से संपर्क किया है और स्वदेश लौटने की इच्छा जाहिर की है.
यूएई में मौत की सजा पा चुके 69 भारतीयों की भारत लौटने में मदद कर चुके एसपीएस ओबेरॉय के मुताबिक 100 में से 70 महिलाएं उनके संपर्क में हैं. इसके अलावा 30 ऐसी महिलाएं हैं जो शेखों के कब्जे में है और नौकरानी का काम कर रही हैं.
ओबेरॉय के मुताबिक उन्होंने हाल ही चार ऐसी महिलाओं को शेखों के कब्जे से छुड़ाया है जिसके लिए उनको भारी कीमत अदा करनी पड़ी.
यातनाओं का शिकार महिलाएं
सरबत दा भला द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक मिडल ईस्ट के देशों में फंसी पंजाबी महिलाएं तरह-तरह की यातनाओं का शिकार होती हैं. इन यातनाओं में मारपीट, यौन शोषण, अत्यधिक काम करवाना या फिर काम के बदले कोई पैसा ना देना भी शामिल है.
एसपीएस ओबेरॉय के मुताबिक मध्य पूर्व के देशों में बने कानून भी महिलाओं के शोषण के लिए जिम्मेवार है. अपने रोजगार दाताओं के चंगुल से भागने वाली महिलाओं को जुर्माना भरना पड़ता है. ज्यादातर शेख दावा करते हैं कि उन्होंने इन महिलाओं को कीमत देकर खरीदा है. कुछ महिलाओं के खिलाफ आपराधिक मामले भी दर्ज हैं.