दो साल पहले पाकिस्तान से भारत लाई गई गीता अचानक इंदौर के मूक बधिर केंद्र से गुरुवार को रहस्यमयी ढंग से लापता हो गई. उसे वहां स्कीम नंबर 71 में स्थित 'डेफ एंड डंब बायलिंगुअल एकेडेमी' में रखा गया था. गीता के लापता हो जाने से केंद्र में हड़कंप मच गया. तत्काल पुलिस को सूचना दी गई. बाद में पुलिस ने उसे एक मंदिर से बरामद कर लिया.
गीता के लापता हो जाने के बाद इंदौर शहर के तीन थानों की पुलिस गीता को ढूंढने में लग गई. गनीमत रही कि चंदन नगर थाने की पुलिस ने गीता को कड़ी मशक्कत के बाद शाम के वक्त रणजीत-हनुमान मंदिर से ढूंढ निकाला. फिर उसे मूक-बधिर केंद्र के हॉस्टल में पहुंचाया गया.
गीता ने ये कदम क्यों उठाया, इस पर मूक-बधिर केंद्र के संचालकों ने चुप्पी साध रखी है. एडिश्नल एसपी रूपेश द्विवेदी ने गीता के कुछ देर लापता रहने के बाद पुलिस की ओर से उसे ढूंढ निकालने की पुष्टि की. वजह पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वो इस पर कुछ नहीं कह सकते लेकिन कोई तो वजह होगी जिस वजह से गीता केंद्र से बाहर गई.
बता दें कि गीता को अहम जिम्मेदारी के तहत मूक-बधिर संगठन को सौंपा गया था. 26 अक्टूबर 2015 को गीता पाकिस्तान से भारत लौटी थी. इसके करीब तीन महीने के बाद 7 फरवरी 2016 को गीता की फोटो के साथ विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने एक ट्वीट किया था. इस ट्वीट में लिखा था कि "गीता इंदौर में खुश है. हम उसके परिवार को ढूंढने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं."
गीता पाकिस्तान से इसी उम्मीद के साथ लौटी थी कि उसे उसका परिवार मिल जाएगा. लेकिन इतना समय बीतने के बाद भी गीता का परिवार नहीं ढूंढा जा सका.
यहां ये सवाल उठता है कि गीता आखिर क्यों मूक-बधिर केंद्र से गुरुवार को बिना बताए बाहर गई. क्या वो यहां रहते हुए नाखुश है? पुलिस ने इतना ही कहा है कि कोई वजह तो रही होगी. एडिश्नल एसपी रूपेश द्विवेदी के मुताबिक मूक-बधिर केंद्र के संचालन पर बात करना पुलिस के कार्यक्षेत्र से बाहर है.
जानकारी जुटाने के लिए जब मीडिया मूक बधिर केंद्र में शुक्रवार सुबह पहुंचा तो को जिम्मेदार व्यक्ति बात करने के लिए सामने नहीं आया. एक अटैंडेंट तो ऊंची आवाज में कैमरा बंद करने और केंद्र के गेट से बाहर निकल जाने के लिए कहने लगी. गीता के केंद्र से बाहर जाने की वजह कोई भी हो लेकिन केंद्र का इस तरह का रवैया सवाल जरूर खड़े करता है.
पाकिस्तान में गीता के 15 साल
गीता 7-8 साल की उम्र में पाकिस्तानी रेंजर्स को समझौता एक्सप्रेस में रेलवे स्टेशन पर मिली थी. इस मूक बधिर लड़की की जिम्मेदारी पाकिस्तान के चैरिटेबल संगठन ईधी फाउंडेशन से जु़ड़ी बिलकीस ईधी ने संभाली. मानवाधिकार संगठनों के प्रयासों से गीता के परिवार को ढूंढने के प्रयास शुरू हुए. भारत उच्चायोग की ओर से भेजी गई एक तस्वीर में गीता ने अपने पिता, सौतेली मां और भाई बहनों की पहचान की थी. बिहार के रहने वाले एक शख्स ने गीता को अपनी बेटी बताते हुए दावा किया था. हालांकि गीता भारत लौटने के बाद अपने परिवार को पहचान नहीं सकी. तब सरकार की ओर से साफ किया गया था कि डीएनए मिलान से पुष्टि होने के बाद ही गीता को उसके परिवार को सौंपा जाएगा. जब तक उसका परिवार ढूंढ नहीं लिया जाता उसे सुरक्षित आश्रय में रखा जाएगा. गीता की उम्र अब करीब 25 साल है.
आपको बता दें कि करीब दो साल पहले पाकिस्तान से गीता नाम की मूक-बधिर लड़की को भारत लाए जाने की घटना बहुत सुर्खियों में रही थी. गीता को भारत लाने में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के प्रयासों ने अहम भूमिका निभाई थी.