फर्जी पासपोर्ट मामले में पटियाला हाउस कोर्ट की विशेष अदालत ने अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन को सात साल की सजा सुनाई है. राजन के साथ-साथ बंगलुरु पासपोर्ट ऑफिस के तीन अधिकारियों को भी सात साल की सजा सुनाई गई है. राजन समेत चारों दोषियों पर 15 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. 70 से ज्यादा मुकदमों में आरोपी छोटा राजन के खिलाफ यह पहला मामला है, जिसमें अदालत ने उसे सजा सुनाई है.
किसी समय मोस्ट वांटेड अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के सबसे करीबी माने जाने वाले छोटा राजन ने दो दशक से भी ज्यादा वक्त तक पुलिस की आंखों में धूल झोंकी थी. 'आजतक' आपको बताने जा रहा है कि फर्जी पासपोर्ट केस में सजा मिलने से लेकर छोटा राजन की विदेश में गिरफ्तारी और उसे भारत लाए जाने की पूरी इनसाइड स्टोरीः
अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन का असली नाम राजेंद्र सदाशिव निकल्जे है. फर्जी पासपोर्ट मामले में छोटा राजन पर आरोप था कि उसने बंगलुरु पासपोर्ट ऑफिस के तीन अधिकारियों जयश्री दत्तात्रेय रहाते, दीपक नटवरलाल शाह और ललिता लक्ष्मणन की मदद से फर्जी पासपोर्ट हासिल किया था. यह फर्जी पासपोर्ट उसे मोहन कुमार नाम से इश्यू किया गया था. छोटा राजन की मदद करने वाले तीनों ही अधिकारी फिलहाल रिटायर हो चुके हैं. इस केस में राजन समेत इन तीनों अधिकारियों को भी सात साल की सजा सुनाई गई है.
अक्टूबर 2016 में खत्म हो गया था ट्रायल
फर्जी पासपोर्ट मामले में अक्टूबर 2016 में ही ट्रायल खत्म हो गया था. पहले मामले से जुड़ी एक याचिका के हाई कोर्ट में लंबित होने की वजह से और फिर ट्रायल कोर्ट के जज का तबादला होने के कारण यह मामला छह महीने तक अदालत में अटका रहा. गिरफ्तारी के वक्त छोटा राजन के पास से बरामद फर्जी पासपोर्ट वहीं पासपोर्ट था, जो उसे बंगलुरु के पासपोर्ट ऑफिस से जारी किया गया था. राजन का दावा था कि उसे यह पासपोर्ट भारतीय अधिकारियों ने ही मुहैया करवाया था. राजन इसी फर्जी पासपोर्ट के जरिए मोहन कुमार बनकर ऑस्ट्रेलिया में पिछले 12 साल से रह रहा था.
कैसे हुआ छोटा राजन गिरफ्तार
छोटा राजन को 25 अक्टूबर, 2015 को इंडोनेशिया के बाली शहर से गिरफ्तार किया गया था. दरअसल अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन को महज एक फोन कॉल ने सलाखों के पीछे भिजवाया था. हमेशा वीओआईपी के जरिए कॉल करने वाले राजन ने 24 अक्टूबर, 2015 को व्हाट्सएप के जरिए अपने एक शुभचिंतक को फोन किया था. इस कॉल को सुरक्षा एजेंसियों ने टेप कर लिया था. फोन पर छोटा राजन ने कहा था कि अब वह ऑस्ट्रेलिया में सुरक्षित नहीं है और बहुत जल्द से यहां से निकल जाएगा. इसके बाद सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट हो गईं. इंटरपोल ने भी राजन के देश छोड़कर निकलने के संबंध में अलर्ट जारी कर दिया. 25 अक्टूबर, 2015 को ऑस्ट्रेलियन फेडेरल पुलिस को खबर मिली कि भारतीय मूल का एक नागरिक बाली जा रहा है. फेडेरल पुलिस ने फौरन इंटरपोल के जरिए बाली इमिग्रेशन डिपार्टमेंट को इसकी सूचना दी और छोटा राजन को बाली पहुंचते ही एयरपोर्ट पर गिरफ्तार कर लिया गया. गिरफ्तारी के समय छोटा राजन काफी डरा हुआ था. उसने खुद पर खतरे की बात भी कबूल की. उसने बताया कि डी कंपनी यानी दाऊद का गैंग उसके पीछे पड़ा हुआ है.
ऐसे भारत लाया गया अंडरवर्ल्ड डॉन
राजन की गिरफ्तारी के बाद दाऊद इब्राहिम के खास गुर्गे छोटा शकील ने कहा था कि उनके इशारे पर ही राजन की गिरफ्तारी हुई थी. इसके साथ ही शकील ने राजन को जान से मारने की भी धमकी दी थी. बाली में छोटा राजन की गिरफ्तारी की भारतीय गृह मंत्रालय ने पुष्टि कर दी थी. इंडोनेशिया के साथ भारत की प्रत्यर्पण संधि है, जिसकी वजह से छोटा राजन को भारत लाना मुश्किल नहीं था. सूत्रों के मुताबिक, इस ऑपरेशन के लिए भारत सरकार के मंत्री जनरल वी.के. सिंह खासतौर पर इंडोनेशिया गए थे और वह कागजी कार्रवाई करके वापस लौट आए थे. यह भी कहा गया कि डी कंपनी से खतरे को देखते हुए छोटा राजन खुद भारत आना चाहता था. छोटा राजन को भारत लाने में सीबीआई, इंटेलिजेंस यूनिट और मुंबई क्राइम ब्रांच का बड़ा हाथ था. छोटा राजन को 6 नवंबर, 2015 की सुबह कड़ी सुरक्षा के बीच विशेष विमान से बाली से दिल्ली के पालम एयरपोर्ट लाया गया. राजन ने प्लेन से उतरते ही सबसे पहले भारतीय धरती को चूमा था.
राजन को लाने के लिए बनाए गए 'दो प्लान'
राजन को एयरपोर्ट से सीबीआई मुख्यालय तक ले जाने में कितनी एहतियात बरती गई, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसे लाने के लिए दो प्लान तैयार किए गए थे. प्लान 'ए' और प्लान 'बी'. प्लान 'ए' के तहत एयरपोर्ट के मेन गेट से बुलेटप्रूफ कार एक डमी काफिले के साथ निकली और लोधी कालोनी स्थित स्पेशल सेल के दफ्तर पहुंची. वहीं, दूसरा 'असली काफिला' उसे लेकर सीधे सीबीआई दफ्तर पहुंचा था. महाराष्ट्र सरकार ने छोटा राजन से जुड़े सभी मामले सीबीआई को सौंप दिए थे. राजन पर आतंकी गतिविधियों के अलावा हत्या, हत्या का प्रयास, उगाही और तस्करी जैसे करीब 70 संगीन मामले दर्ज हैं. राजन पर पत्रकार जेडे की भी हत्या का आरोप है. फर्जी पासपोर्ट मामले में सीबीआई की कस्टडी में रहने के बाद 19 नवंबर, 2015 से वह तिहाड़ जेल में बंद है. मुंबई की ऑर्थर रोड जेल में मकोका अदालत के समक्ष छोटा राजन को पेश करने के लिए वॉरंट भी जारी किया गया था, लेकिन तिहाड़ प्रशासन की याचिका पर सीबीआई ने अदालत को बताया कि अगर राजन को मुंबई भेजा जाता है तो वहां उसकी जान को खतरा हो सकता है. अंडरवर्ल्ड व स्थानीय बदमाश उसकी जेल में हत्या कर सकते हैं. खुद राजन ने भी कहा था कि मुंबई ले जाने पर उसकी हत्या कर दी जाएगी. जिसके बाद राजन की वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से तिहाड़ जेल से मकोका अदालत में पेशी हुई थी.
सिवान का बाहुबली छोटा राजन से परेशान
सूत्रों की मानें तो छोटा राजन को तिहाड़ में जेल नंबर एक में रखा गया है. इस सेल में सिर्फ एक ही कैदी को रखा जाता है. इस सेल की सुरक्षा में स्पेशल पुलिस अधिकारियों को तैनात किया जाता है. सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद हाल ही में सिवान के बाहुबली नेता शहाबुद्दीन को भी तिहाड़ जेल भेजा गया था. राजन की सेल के पास वाली सेल में ही शहाबुद्दीन को रखा गया है. शहाबुद्दीन ने जेल प्रशासन से शिकायत की थी कि राजन की सेल में लगे टीवी पर अक्सर गाने-बजाने की आवाजों से उसे परेशानी होती है. जिसके बाद शहाबुद्दीन ने जेल प्रशासन से अपनी सेल में भी टीवी लगाए जाने की मांग की थी. बताया जाता है कि बीच-बीच में आईबी के अधिकारी राजन की सुरक्षा को लेकर तिहाड़ जेल का जायजा लेने के लिए आते रहते हैं. राजन की सुरक्षा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक सेकेंड के लिए भी राजन के आसपास किसी भी कैदी को भटकने तक नहीं दिया जाता है.