दुनिया भर में कुख्यात आतंकी संगठन आईएसआईएस (इस्लामिक स्टेट) भारत में जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में देशविरोधी नारेबाजी के बाद मचे हंगामे का फायदा उठाना चाहता था. इस बात पर आईएस में आंतकी बहाल करने के आरोपी संदिग्ध आतंकी के राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के सामने दिए बयान ने मुहर लगा दी है.
मौके का फायदा उठाना चाहता था आईएस
संदिग्ध आतंकियों ने बताया कि बीते दिनों उन्हें जेएनयू और कन्हैया विवाद में हो रहे प्रदर्शनों में घुसकर मौके का फायदा उठाने के लिए कहा गया था. आईएस से जुड़े संगठन 'जुनुद अल खलीफा-ए-हिंद (जेकेएच) के लिए युवकों की भर्ती करने वाले आशिक अहमद उर्फ राजा, मोहम्मद अब्दुल अहद और मोहम्मद अफजल के बयान से ऐसे कई खुलासे हुए. जेकेएच को आईएस का भारतीय मॉड्यूल कहा जाता है. इनके 25 आतंकियों को फरवरी में गिरफ्तार किया गया था.
आईएस का भारतीय माड्यूल है जेकेएच
जानकारी के मुताबिक पश्चिम बंगाल के हुगली में रहने वाले 19 साल के आशिक अहमद उर्फ राजा को कन्हैया की गिरफ्तारी के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों में शामिल होकर गाड़ियां जलाने और
तोड़फोड़ करने के लिए कहा गया था. इससे भारत में अशांति का माहौल बनता. बयान में तीनों आतंकियों ने जेकेएच के गठन और तुमकुर, बेंगलुरु, पश्चिम बंगाल और पंजाब में इसकी बैठकों में शामिल होने की बात कबूल की है.
पहली बार रिकॉर्ड हुआ आतंकी की बयान
यह पहली बार है जब आईएस से जुड़े किसी आतंकी का बयान किसी एजेंसी ने रिकॉर्ड किया है. एनआईए ने इन संदिग्ध आतंकियों के बयान को सीआरपीसी की धारा 164 के तहत रिकॉर्ड
किया. शक है कि अहमद अली और कोई नहीं बल्कि भारत में आईएस का सरगना शफी अरमार ही है. हाल ही में हुए एक अमेरिकी ड्रोन हमले में उसके मारे जाने की बात मानी जी रही थी.
प्रदर्शन की आड़ में तोड़फोड़ और हिंसा
आशिक ने कहा कि खुद को 'अंसार उद तौहीद बिलाद अल-हिंद (एयूटी)' का सरगना बताने वाले अहमद अली ने इस साल 19 फरवरी को 'ट्रिलियन ऐप' के जरिए उससे संपर्क किया था. उसने
मुझसे कहा कि एजेंसियां हम पर नजरें बनाए हुए हैं. इस समय देश के कई शहरों में छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं. ऐसे में हमें मौके का फायदा उठाना चाहिए. इसमें शामिल होकर गाड़ियां जलानी
चाहिए. तोड़फोड़ करनी चाहिए.'
यासीन भटकल को छुड़ाने की कोशिश
आशिक ने एजेंसी को बताया कि उन सबसे छिपकर रहने, तैराकी और नक्शे बनाना सीखने के लिए कहा गया था. उन्हें सबसे पहले भारत में शिया समुदाय को निशाना बनाने और इंडियन
मुजाहिद्दीन के पूर्व सरगना यासीन भटकल को जेल से छुड़ाने का लक्ष्य दिया गया था.