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बिहारः तीन साल से कोर्ट में पेश नहीं हुआ जेल में बंद गैंगरेप का आरोपी

देश में बलात्कार के खिलाफ कड़े कानून बनाए गए हैं लेकिन कानून का पालन कराने वाले ही अपराधियों के हाथों बिक जाते हैं. एक बलात्कार पीड़िता न्याय के लिए दर बदर फरियाद लेकर भटक रही है लेकिन उसे न्याय नहीं मिल पा रहा है. आरोपी जेल में भी ऐश की जिंदगी गुजार रहा है. यही नहीं जेल के भ्रष्ट अधिकारियों की मिली भगत से वह अदालत की तारीखों पर भी नहीं आ रहा है.

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जेल अधिकारियों की मिली भगत से आरोपी कोर्ट में पेश नहीं होता
जेल अधिकारियों की मिली भगत से आरोपी कोर्ट में पेश नहीं होता

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देश में बलात्कार के खिलाफ कड़े कानून बनाए गए हैं लेकिन कानून का पालन कराने वाले ही अपराधियों के हाथों बिक जाते हैं. एक बलात्कार पीड़िता न्याय के लिए दर बदर फरियाद लेकर भटक रही है लेकिन उसे न्याय नहीं मिल पा रहा है. आरोपी जेल में भी ऐश की जिंदगी गुजार रहा है. यही नहीं जेल के भ्रष्ट अधिकारियों की मिली भगत से वह अदालत की तारीखों पर भी नहीं आ रहा है.

मामला सीतामढी के रून्नीसैदपुर का है. जहां वर्ष 2013 के अप्रैल माह में दो लोगों ने एक 14 साल की नाबालिक लडकी को बंधक बनाकर उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया था. इस मामले में पीड़ित लड़की के परिजनों ने मिंटू सिंह उर्फ प्रभात रंजन समेत दो लोगों के खिलाफ घटना के अगले दिन एफआईआर दर्ज कराई थी. लेकिन पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार करने में टाल मटोल करती रही.

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इसके बाद मामला कोर्ट पहुंचा. पुलिस, अदालत और कानून का चक्कर शुरू हुआ. दबाव बढ़ने पर बलात्कार के दोनों आरोपियों मिंटू सिंह और सम्पत सिंह कोर्ट में सरेंडर कर दिया. सम्पत सिंह को नाबालिक होने के कारण उसी वक्त बेल मिल गई थी जबकि मिंटू सिंह अभी तक मुजफ्फपुर जेल में बंद है.

इस मामले में तारीख पर तारीख लगती रहती है लेकिन मिंटू सिंह को अदालत में पेश नहीं किया जाता. कई तारीखों के बावजूद जब मिंटू सिंह को कोर्ट में पेश नहीं किया गया, तब अदालत ने मुजफ्फपुर के जेलर से जवाब तलब कर लिया. इसके बावजूद जेलर ने उसे अगली चार तारीखों तक कोर्ट में पेश नहीं किया.

जेल अधिकारियों की मिलीभगत से इस काम को अंजाम दिया गया. सात तारीखें बीत जाने के बाद जब आरोपी को अदालत में पेश नहीं किया गया तो सीतामढी की अदालत ने मुजफ्फपुर सेन्ट्रल जेल के जेलर के वेतन पर रोक लगा दी है. आरोपी और जेल प्रशासन का ऐसा बेर्शम गठजोड शायद ही कहीं देखने को मिले.

पीडित परिवार न्याय की आस में हर तारीख पर अदालत में आता है. जज साहब भी आते हैं लेकिन मामले का आरोपी अदालत में नहीं आता. इस मामले को तीन साल से ज्यादा का समय हो गया है. पीडित परिवार को लगातार धमकियां मिल रही हैं. लड़की के परिवार वालों ने सीतामढी में रहना छोड दिया है. लडकी की पढाई छूट गई है.

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इन सबके बावजूद इस पीड़ित परिवार को न्यायालय पर भरोसा है. लड़की के पिता का आरोप है कि आरोपी की जेलर के साथ मिली भगत है. ऐसे में बिहार में कानून राज का दावा कितना उचित है. पीडित परिवार का कहना है कि अगर उन्हें इंसाफ नहीं मिला तो पूरा परिवार आत्महत्या कर लेगा.

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