न्यायमूर्ति जे.एस. वर्मा समिति ने देश में रेप कानूनों को कड़ा करने के उपायों पर अपनी रिपोर्ट बुधवार को सौंप दी. दिल्ली में चलती बस में एक युवती के साथ हुए क्रूरतापूर्वक गैंगरेप की घटना के बाद उठे आंदोलन को ध्यान में रखते हुए इस समिति का गठन किया गया था.
वर्मा ने कहा कि 16 दिसंबर को हुए गैंगरेप की घटना के खिलाफ युवकों की प्रतिक्रिया से वे प्रभावित हैं. उन्होंने कहा कि एक महीने में रिपोर्ट तैयार करना एक 'जद्दोजहद से भरा' काम था और उन्हें दुनिया भर से संगठनों और छात्रों की प्रतिक्रियाएं मिली.
उन्होंने कहा, 'यह तो बदलाव की शुरुआत भर है.' उन्होंने उम्मीद जताई कि संसद के आगामी सत्र में रिपोर्ट को 'गंभीरता' से लिया जाएगा. उन्होंने कहा, 'महिलाओं के पूर्व में की गई कई सिफारिशें आज तक लागू नहीं हो पाई हैं. हमारे पास पुख्ता कानून है, लेकिन वे अभी तक अप्रभावी हैं.'
उन्होंने यह भी कहा कि पहला कदम समाज से छेड़खानी या यौन प्रताड़ना और पीछा करने जैसी बुराइयों को खत्म करना है. उन्होंने कहा, 'यह बेहद गंभीर बात है कि इस तरह के चलन को समाज झेल रहा है. हमें सबसे पहले इससे निपटना चाहिए क्योंकि इससे यौन हमलों में कमी आएगी.'
उन्होंने कहा कि दिल्ली में चलती बस में युवती के साथ क्रूरतमत गैंगरेप के खिलाफ जिस तरह से युवकों ने विरोध प्रदर्शन के लिए 'शांतिपूर्ण तरीका' अपनाया उससे वे बेहद प्रभावित हैं. गैंगरेप की शिकार युवती और उसके मित्र को बाद में दिसंबर की सर्द रात में नग्न हालत में सड़क के किनारे फेंक दिया गया था. घटना के 13 दिनों बाद युवती की सिंगापुर के एक अस्पताल में मौत हो गई थी.
देश के पूर्व प्रधान न्यायाधीश और मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष रह चुके न्यायमूर्ति वर्मा ने कहा, 'युवकों का यह प्रभावी प्रदर्शन था. यह एक नम्र अनुभूति था जो युवकों ने हम बुजुर्ग पीढ़ी के लोगों को सिखाया.'