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मैं विकास दुबे हूं... कानपुर कांड के मास्टरमाइंड गैंगस्टर की जिंदगी की पूरी कहानी

एक क्षेत्राधिकारी यानी डिप्टी एसपी समेत आठ पुलिस कर्मियों की मौत के जिम्मेदार विकास दुबे यूपी पुलिस को चकमा देकर यहां से वहां घूमता रहा. दरअसल, विकास हमेशा पुलिस को अपने इशारे पर चलाता रहा है. उसकी करतूतों को जानकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वो कोई साधारण अपराधी नहीं है.

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पुलिस लगातार विकास दुबे की तलाश कर रही थी (सोशल मीडिया)
पुलिस लगातार विकास दुबे की तलाश कर रही थी (सोशल मीडिया)

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  • दर्जा प्राप्त मंत्री की हत्या से सुर्खियों में आया था नाम
  • गवाही से मुकर गए थे थाने के पुलिसकर्मी
  • इस मामले में बरी हो गया था विकास

कानपुर कांड का मास्टरमाइंड विकास दुबे आखिरकार मध्य प्रदेश के उज्जैन में पुलिस के समक्ष सरेंडर करने में कामयाब हो गया. उसने महाकाल थाना क्षेत्र में जाकर इस कार्रवाई को अंजाम दिया. इसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. अब उसे कानपुर लाने की तैयारी की जा रही है.

एक क्षेत्राधिकारी यानी डिप्टी एसपी समेत आठ पुलिसकर्मियों की मौत का जिम्मेदार विकास दुबे यूपी पुलिस को चकमा देकर यहां से वहां घूमता रहा. दरअसल, विकास हमेशा पुलिस को अपने इशारे पर चलाता रहा है. उसकी करतूतों को जानकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वो कोई साधारण अपराधी नहीं है. उसका आपराधिक इतिहास लंबा है. वर्ष 2000 से लेकर आज तक उसने अनगिनत जुर्म किए. कई मामलों में वो बरी हुआ तो कई मामले अभी भी अदालत में लंबित हैं.

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विकास दुबे ने कुछ ऐसी वारदातों को अंजाम दिया था, जो पुलिस और सरकार के लिए चुनौती बन गई. ये वही अपराधी है, जिसने 2001 में राजनाथ सिंह सरकार में मंत्री का दर्जा पाए संतोष शुक्ला की थाने में घुसकर हत्या कर दी थी. इस मामले ने काफी तूल पकड़ा था. लेकिन उसका खौफ इस वारदात से इस कदर हो गया था कि उसके खिलाफ गवाही देने वाले थाने के 19 पुलिसकर्मी भी कोर्ट में अपने बयान से मुकर गए थे. विकास के खिलाफ 60 केस दर्ज हैं.

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साल 2000 में विकास दुबे पर कानपुर के शिवली थानाक्षेत्र स्थित ताराचंद इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडेय की हत्या का आरोप लगा था. इसके अलावा साल 2000 में ही उस पर कानपुर के शिवली थानाक्षेत्र में रामबाबू यादव की हत्या मामले में जेल के भीतर रहकर साजिश रचने का आरोप लगा था.

साल 2004 में केबल व्यवसायी दिनेश दुबे हत्या मामले में भी विकास पर आरोप है. वहीं 2018 में अपने ही चचेरे भाई अनुराग पर विकास दुबे ने जानलेवा हमला करवाया था. इस दौरान भी विकास जेल में बंद था और वहीं से सारी साजिश रची थी. इस मामले में अनुराग की पत्नी ने विकास समेत चार लोगों को नामजद किया था.

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बताया जाता है कि उत्तरप्रदेश में सभी राजनीतिक दलों के ऊपर हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की पकड़ है. साल 2002 में मायावती के मुख्यमंत्री रहते हुए विकास दुबे ने कई जमीनों पर अवैध कब्जे किए. गैर कानूनी तरीके से काफी सारी संपत्ति बनाई. इस दौरान बिल्हौर, शिवराजपुर, रिनयां, चौबेपुर के साथ ही कानपुर नगर में विकास दुबे का दबदबा था.

कानपुर के हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे तीन भाई हैं. सबसे बड़े विकास, फिर दीपू दुबे और उसके बाद अविनाश दुबे. सबसे छोटे भाई अविनाश की हत्या हो गई थी. विकास दुबे के पिता का नाम रामकुमार है, जो बिकरू गांव में ही रहते हैं, जबकि मां सरला दुबे हैं, जो लखनऊ में रहती हैं.

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विकास दुबे की तीन बहनें बिट्टन, किरण और रेखा है, जिसमें की बिट्टन की शादी शिवली में हुई है. किरण की शादी उन्नाव में और रेखा की रामपुर में हुई है. इसमें किरण और रेखा मर चुकी हैं. विकास दुबे ने पच्चीस साल पहले अपने दोस्त राजू खुल्लर श्रीवास्तव की बहन ऋचा से लव मैरिज की थी. विकास के दो बेटे आकाश और शानू हैं.

विकास दुबे का बड़ा बेटा आकाश विदेश से एमबीबीएस कर रहा है, जबकि शानू इंटर कर रहा है और वह अपनी मां और दादी के साथ लखनऊ में रहता है. विकास दुबे ने रसूलाबाद से इंटर किया, फिर ग्रेजुएशन भी किया. विकास दुबे की पत्नी और बेटे को लखनऊ से फरार कराने में विकास के सहयोगी जय वाजपेई की भूमिका सामने आई है.

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क्या हुआ था उस रात

बताया जा रहा है कि बिल्हौर के सीओ देवेंद्र मिश्र, शिवराजपुर के एसओ महेश यादव, दो सब इंस्पेक्टर और 4 सिपाही शहीद हो गए. इसके अलावा सात पुलिसकर्मी घायल हुए हैं, जिनमें कई की हालत गंभीर है. उत्तर प्रदेश के डीजीपी एचसी अवस्थी ने कहा कि विकास दुबे के खिलाफ कुछ दिन पहले हत्या के प्रयास का केस दर्ज किया गया था. पुलिस विकास दुबे को गिरफ्तार करने गई थी. जैसे ही फोर्स गांव के बाहर पहुंची तो वहां जेसीबी लगा दी गई. इस वजह से फोर्स की गाड़ी गांव के अंदर नहीं जा सकी.

बता दें कि कानपुर में 8 पुलिसवालों का खून करके भागा विकास दुबे पुलिस को दिखाई तो दिया था, लेकिन हाथ नहीं आया. जी हां हरियाणा के फरीदाबाद में विकास दुबे देखते ही देखते ऑटो पकड़कर रफू चक्कर हो गया था. इसके बाद यूपी पुलिस कह रही थी कि अब विकास दुबे का काउंटडाउन शुरू हो चुका है.

विकास दुबे को यूपी पुलिस की 50 टीम और एसटीएफ का पूरा लाव लश्कर तलाश कर रहा था. लेकिन इसके बावजूद विकास कानपुर में 8 पुलिसवालों का खून करके हरियाणा के फरीदाबाद तक पहुंच गया. फरीदाबाद में भी वो सबके सामने आया. लेकिन पुलिस एनकाउंटर तो दूर, उसे छू तक नहीं पाई. एक दम फिल्मी स्टाइल में वो पुलिस को चैलेंज देकर निकल गया. मानो विकास दुबे कह रहा हो, पकड़ सको तो पकड़ लो.

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गौरतलब है कि पिछले 7 दिनों से यूपी पुलिस विकास दुबे को ढूंढ रही थी. लेकिन विकास दुबे लगातार पुलिस की आंखों से ओझल हो रहा था. लेकिन अब खुद विकास दुबे ने उज्जैन में सरेंडर कर यूपी पुलिस के अरमानों पर पानी फेर दिया.

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