केरल सरकार ने लव जेहाद मामले में अपना रुख स्पष्ट कर दिया है कि वह लव जिहाद मामले में NIA जांच का विरोध करेगी. सुप्रीम कोर्ट में चल रहे केरल के चर्चित लव जेहाद मामले में केरल सरकार ने हलफनामा दायर कर कहा है कि इस मामले में एनआईए जांच की जरूरत नहीं है, क्योंकि केरल सरकार पहले ही इस मामले की जांच हर कोण से करवा चुकी है. केरल सरकार ने लव जेहाद के इस मामले की जांच के लिए SIT गठित की थी.
केरल सरकार के हलफनामे के मुताबिक हदिया का धर्म परिवर्तन कराए जाने की भी जांच की गई है. इस्लाम धर्म अपनाने के बाद जिन संस्थानों में हदिया ने इस्लाम धर्म की शिक्षा ली उसकी भी जांच की गई है. उन सभी लोगों की जानकारी भी ली गई, हदिया जिनके संपर्क में रही.
केरल सरकार ने कहा कि केरल एसआईटी ने अपनी जांच में हदिया के पति शफीन जहां और उसके पूरे परिवार के बैकग्राउंड की भी जांच की.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 16 अगस्त को मामले की जांच एनआईए को सौंप दी थी. तत्कालीन चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने यह कहते हुए जांच एनआईए को सौंपी थी कि केरल पुलिस हो सकता है पक्षपात करे.
लेकिन तीन अक्टूबर को मामले की पिछली सुनवाई के दौरान मौजूदा चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अक्ष्यक्षता वाली पीठ ने पिछले आदेश से यू-टर्न लेते हुए मामले की जांच एनआईए को सौंपे जाने पर ही सवाल खड़ा कर दिया. इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रथम दृष्टया उनकी नजर में केरल हाईकोर्ट के पास किसी अंतर-जातीय विवाह को रद्द करने का अधिकार ही नहीं है. साथ ही 24 वर्षीया हदिया को पिता के नियंत्रण में रखे जाने पर भी सवाल खड़े किए.
हदिया के पति शफीन जहां के वकील ने मामले की एनआईए जांच का विरोध करते हुए कहा था कि बीजेपी के दो शीर्ष मुस्लिम नेताओं ने हिंदू लड़कियों से शादी की है तो क्या इसकी भी NIA से जांच कराई जाएगी.
दरअसल हदिया के पति शफी जहां ने मामले की जांच नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) से कराए जाने के आदेश के खिलाफ अर्जी दाखिल की है. अपनी याचिका में शफीन जहां ने आरोप लगाया है कि लड़की के परिवार वाले लड़की का उत्पीड़न कर रहे हैं.
याचिका में कहा गया है कि हदिया ने उसे एक वीडियो भेजी है, जिसमें वह कह रही है कि वह मुस्लिम की तरह रहना चाहती है. शफीन जहां ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर करते हुए हदिया के पिता को हदिया को कोर्ट में पेश करने का आदेश देने की मांग की है.
याचिका में यह भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज आरवी रवींद्रन की निगरानी में NIA जांच का आदेश दिया था, लेकिन चूंकि जस्टिस रवींद्रन ने जांच करने से इनकार कर दिया है, इसलिए NIA जांच के आदेश को वापस ले लेना चाहिए.