लखनऊ के ब्राइटलैंड स्कूल में पहली कक्षा के छात्र को चाकू मारने की आरोपी छात्रा के बारे में कई सनसनीखेज खुलासे हुए हैं. बताया जा रहा है कि आरोपी छात्रा का ट्रैक रिकॉर्ड बहुत खराब रहा है. 6 महीने पहले वह अपने घर से भाग गई थी. इतना ही नहीं अपने हाथ की नस काट चुकी है. इससे पहले परीक्षा के दौरान कॉपी लेकर घर भी चली गई थी.
महज सातवीं कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा स्कूल में इस तरह की वारदात को अंजाम देगी, ये तो किसी ने नहीं सोचा था, लेकिन उसका रिकॉर्ड बहुत ही खराब रहा है. उसने पुलिस को बताया भी कि वह स्कूल में छुट्टी कराना चाहती थी. इसलिए प्रिंसिपल से मिलने के बहाने छात्र को टॉयलेट में ले गई. वहां उसके मुंह में कपड़ा ठूंसकर उसे चाकुओं से गोद दिया.
इसके बाद उसने टॉयलेट के अंदर छात्र को बंदकर बाहर निकल गई. संयोग कहिए, उसी वक्त टॉयलेट के पास एक टीचर गुजर रहे थे. उन्होंने पीड़ित की आवाज सुन ली. तुरंत दरवाजा खोला, तो छात्र खून से लथपथ पड़ा हुआ था. स्कूल प्रशासन को सूचित किया गया. इसके बाद छात्र को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसने पूरी घटना की जानकारी दी.
पुलिस अधीक्षक ट्रांस गोमती हरेंद्र कुमार को दिए बयान में पीड़ित छात्र ने बताया, 'स्कूल में प्रेयर होने जा रहा था. मैंने क्लास में अपना बैग रखा और प्रेयर में जाने लगा. तभी दीदी मुझे जबरदस्ती घसीटकर टॉयलेट में ले गई. मुझे चाकू मारते हुए वह कह रही थी कि तुम को जान से मार दूंगी. जबतक तुम मरोगे नहीं, स्कूल में छुट्टी कैसे होगी.'
पहली क्लास के बच्चे से उस छात्रा की कोई दुश्मनी नहीं थी. वह अपने स्कूल की इस दीदी का नाम भी नहीं जानता था. फिर भी एक छुट्टी के लिए दीदी उसके जान की दुश्मन बन बैठी. ये घटना समाज के सामने आईने की तरह है, जिसमें बदलते बदरंग सच्चाइयों की हकीकत नजर आ रही है. इस घटना ने एक बार फिर से प्रद्युम्न हत्याकांड की याद दिला दी.
ठीक उसी तरह यहां भी बाथरूम में एक छोटी क्लास का बच्चा सीनियर छात्र की साजिश का शिकार बना. ठीक उसी तरह यहां भी स्कूल में बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठे. बस एक राहत की खबर यही रही कि जख्मी छात्र की जान बच गयी और आरोपी छात्रा की पहचान भी एक दिन में ही हो गयी. बच्चे ने छात्रा की पहचान सबको बता दी है.
वारदात के बाद पुलिस की जांच और कार्रवाई अपनी जगह है, लेकिन स्कूल के अंदर ऐसी घटनाएं बड़े सवाल खड़े कर रही हैं. सातवीं की छात्रा स्कूल में चाकू लेकर कैसे चली जाती है? क्या बड़े बच्चों के लिए काउंसलिंग की कोई व्यवस्था नहीं थी? बच्चों की शिकायत और गुस्से का इजहार करने के लिए क्या कोई दूसरा रास्ता नहीं था?
सबसे बड़ा सवाल ये है कि स्कूल आने वाले छोटे बच्चों की निगरानी में ढील कैसे दी जा सकती है? एक बच्चा स्कूल आया है और वो क्लास में नहीं है तो टीचर की क्या जिम्मेदारी बनती है? प्रद्युम्न हत्याकांड और लखनऊ के इस बड़े स्कूल की वारदात सुर्खियों में है. ये घटनाएं बड़े स्कूलों की है, लेकिन ये सवाल समाज और शिक्षण संस्थाओं के सामने है.