ऊधमपुर में जिंदा पकड़े गए आतंकवादी कासिम कब और कैसे लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा यह तो अभी सामने नहीं आया है, लेकिन जमात-उल-दावा के बैनर तले फैसलाबाद में बीते दो बरस के भीतर हाफिज सईद ने छह बड़ी रैलियां की हैं. ISIS के उभार के बाद लश्कर के ताल्लुक शहरी युवाओं के बीच बढ़े और लोकप्रिय हुए हैं.
मौजूदा वक्त में माना जाता है कि लश्कर के साथ करीब 300 पढ़े-लिखे युवा जुड़े हैं. कॉलेजों में भी जमात-उल-दावा तकरीर कर रहा है. इसके साथ ही पाकिस्तानी युवाओं में आईएसआईएस को लेकर भी लगातार बहस जारी है.
लश्कर-ए-तैयबा एक समय तालिबान की वकालत करता था, लेकिन अब तालिबान से इतर आईएस के पक्ष में बहस कर रहा है. इसी बहस को लेकर लश्कर पढ़े-लिखे लड़कों के बीच जा रहा है. माना जा रहा है कि कासिम भी इसी तर्ज पर लश्कर से जुड़ा था.
उसकी ट्रेनिंग लश्कर के हेडक्वॉर्टर यानी मुरिदके में दिमागी तौर पर हुई. उसके बाद पीओके यानी मुज्जफराबाद में लश्कर के हमलावरों को साथ ट्रेनिंग देने के बाद भारत में घुसपैठ करा दी गई. उसके बाद वह एलओसी से सीमापार कर पूंछ होते हुए ऊधमपुर पहुंच गया.