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सफेद दाग ने छीन ली जिंदगी, नाबालिग छात्रा ने की खुदकुशी

छत्तीसगढ़ के कवर्धा में एक स्कूली छात्रा ने इसलिए आत्महत्या कर ली, क्योंकि उसके दोस्त और शिक्षक उसके करीब आने से हिचकिचाते थे. कई बार स्कूली छात्र उसके शरीर पर हुए सफेद दाग को लेकर उस पर फब्तियां कसते थे, तो कभी उसका मजाक उड़ाते थे. छात्रा के इस कदम से हर कोई हैरान है.

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दोस्त उड़ाते थे बीमारी का मजाक
दोस्त उड़ाते थे बीमारी का मजाक

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छत्तीसगढ़ के कवर्धा में एक स्कूली छात्रा ने इसलिए आत्महत्या कर ली, क्योंकि उसके दोस्त और शिक्षक उसके करीब आने से हिचकिचाते थे. कई बार स्कूली छात्र उसके शरीर पर हुए सफेद दाग को लेकर उस पर फब्तियां कसते थे, तो कभी उसका मजाक उड़ाते थे. छात्रा के इस कदम से हर कोई हैरान है.

मामला कवर्धा जिले के पिपरिया थाना क्षेत्र स्थित गोपालभवना गांव का है. 9वीं में पढ़ने वाली मृतक छात्रा का नाम रंगीता था. रंगीता को ल्यूकोडर्मा (सफेद दाग) की बीमारी थी. किसान परिवार की बेटी रंगीता ने पढ़-लिखकर बड़ा अधिकारी बनने के ख्वाब संजोए थे. रंगीता जब चौथी क्लास में थी, तब उसे इस बीमारी ने घेर लिया था.

रंगीता से दूर भागते थे साथी छात्र
धीरे-धीरे उसके शरीर पर सफेद दाग बढ़ते चले गए. दूसरी ओर रंगीता के साथी स्कूली छात्र भी उसे अनचाही नजरों से देखने लगे. साथी छात्र रंगीता के साथ पढ़ना-लिखना और खेल-कूद तक से परहेज करने लगे. छुआछूत की भावना और साथी छात्रों के इस व्यवहार से रंगीता अवसाद में रहने लगी.

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रंगीता ने कई बार परिजनों से की थी शिकायत
लंबे अरसे से साथियों के इस व्यवहार को झेलते आ रही रंगीता ने कई बार इसकी शिकायत अपने परिजनों से भी की, लेकिन परिजन भी क्या कर सकते थे. उन्होंने बेटी की बीमारी का काफी इलाज करवाया लेकिन रंगीता को कुछ खास राहत न मिल सकी. घटना वाले दिन भी उसने अपनी आपबीती अपने माता-पिता को बताई थी.

रंगीता ने पी लिया कीटनाशक
इस बार भी माता-पिता ने बेटी को समझाने की कोशिश की. मां-बाप की बातों से निराश होकर और समाज के ठहाकों से तंग आकर रंगीता ने ही इस दुनिया को छोड़ने का मन बना लिया. माता-पिता के खेत जाते ही मौका पाकर रंगीता ने कीटनाशक दवा का सेवन कर लिया. रंगीता की मौके पर ही मौत हो गई.

रंगीता के बदले थी समाज को इलाज की जरूरत
फिलहाल पुलिस ने रंगीता के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज जांच शुरू कर दी है. गौरतलब है कि 21वीं सदीं के इस दौर में क्या इंसान की जान इतनी सस्ती हो गई है कि सामाजिक तानों से भरे सड़े-गड़े समाज में एक लड़की सिर्फ इसलिए खुदकुशी कर लेती है, क्योंकि उसकी बीमारी का मजाक उड़ाया जाता है. उस लड़की की बीमारी के इलाज के बदले अगर लोगों की सोच का इलाज किया जाता तो आज रंगीता हमारे बीच जिंदा होती.

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