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आसाराम: जेल में जिंदगी

आसाराम बापू जेल में खामोश जिंदगी जी रहा है लेकिन उसके अनुयायियों पर लगाम कसना चुनौती.

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आसाराम बापू का जादू जोधपुर सेंट्रल जेल के कैदियों पर नहीं चल पाया. शुरू-शुरू में कुछ कैदियों ने उनके बताए मंत्र जरूर जपे लेकिन जैसे-जैसे उनकी यौन शोषण की कहानियां जेल के भीतर आती रहीं, वैसे-वैसे आसाराम की लोकप्रियता भी घटने लगी. एक कैदी कहता है, “हम तो मार्ग से भटक गए थे लेकिन ये तो संत थे.” दो अन्य कैदियों के साथ बड़ी-सी बैरक में रहने वाले आसाराम विचाराधान कैदी बनने के बाद से साधारण कपड़े पहन रहे हैं हालांकि अदालत ने उन्हें उनके जोधपुर आश्रम में बना भोजन खाने की मंजूरी दे रखी है. उनके दोपहर और रात के भोजन में आम तौर पर दाल, चपाती और सब्जी होती है और बाकी के दिन फल और हर्बल टी मिलती है. आसाराम को यूं तो गुस्सा कम ही आता है लेकिन इस बात पर वे बार-बार जोर देते हैं कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है और उन्हें इस मामले में बेवजह फंसाया गया है. वे हफ्ते में लगभग 15 अनुयायियों से मुलाकात करते हैं और इनमें से भी ज्यादातर उनके कारोबार से जुड़े होते हैं जैसे आश्रम में तरह-तरह का माल सप्लाई करने वाले सप्लायर या फिर आश्रम के कर्मचारी. उनसे मिलने वालों में जाने-माने चेहरे कम ही होते हैं हालांकि इसी साल जनवरी में वीएचपी के नेता अशोक सिंघल ने उनसे जेल में मुलाकात की थी.

आसाराम का केस दिग्गज वकील लड़ रहे हैं. पहले उनके वकील राम जेठमलानी थे और अब सुब्रमण्यम स्वामी उनकी पैरवी कर रहे हैं. इनमें से किसी को भी खास कामयाबी नहीं मिली है. 20 जून को उनकी छठी जमानत याचिका भी खारिज हो गई. वैसे आसाराम तो जेल प्रशासन के लिए कुछ परेशानी खड़ी नहीं करते लेकिन जोधपुर कोर्ट परिसर को उनके उपद्रवी अनुयायियों की हरकतों से दो-चार जरूर होना पड़ता है. 2013 में उपद्रव करने की वजह से उनके 79 अनुयायियों और 2014 में 319 अनुयायियों को गिरफ्तार किया गया था. इस साल पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने या कुछ देर की गिरफ्तारी के बाद उन्हें रिहा करने का फैसला लिया है. कोर्ट परिसर को सील भी कर दिया गया है ताकि उनके अनुयायियों को उनके नजदीक जाने से रोका जा सके. अगर मामले की सुनवाई पूर्णिमा के दिन होती है तो कोर्ट परिसर में उनके दर्शन के लिए लगभग 1,000 अनुयायी जमा हो जाते हैं. अन्य दिनों में जेल से कोर्ट तक आने के बीच दोपहिया वाहनों पर सवार सौ अनुयायी और 50 पुलिसकर्मी उन्हें घेरकर चलते हैं. अनुयायी उनके पैरों की धूल तक लेने के लिए होड़ करते देखे जा सकते हैं. ये हैं आसाराम, हथकड़ी में जकड़ फिर भी हताश नहीं.

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