जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में आतंकी हमला करने वाले पाकिस्तानी आतंकवादियों ने घुसपैठ के बाद दो महीने तक स्थानीय लोगों की शरण में पनाह ली थी. यह खुलासा एनआईए की जांच में हुआ है. गुरुवार को एनआईए ने लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों सहित नौ आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की है.
एनआईए सूत्रों के मुताबिक, एलओसी के जरिए घुसपैठ करने के बाद लश्कर-ए-तैयबा के चार आतंकी कश्मीर में कुछ लोगों के संपर्क में थे. वे जून से अगस्त 2015 तक उन लोगों की पनाह थे. इन लोगों ने आतंकियों को हथियार, वाहन और जरूरी सामान उपलब्ध कराए थे.
जानकारी के मुताबिक, एनआईए ने सभी दोषियों के खिलाफ रणबीर दंड संहिता की धारा 20B, 121, 121A, 122, 302, 307, 325, 326, 333, 342, 364, 435, 109, 34 और गैर कानूनी गतिविधी अधिनियम की धारा 16, 18, 19, 20, 38, 39 सहित विभिन्न धाराओं के तहत चार्जशीट दाखिल किया है.
एनआईए की चार्जशीट में मो. नावेद, खुर्शीद अहमद भट, शौकत अहमद भट, शाबजार अहमद भट, फयाज अहमद इट्टू, खुर्शीद अहमद इट्टू, फयाज अहमद अश्वार, आशिक हुसैन भट और अबु नोमान के नाम हैं. आरोपियों में से अबु नोमान जवाबी कार्रवाई में मारा गया था, जबकि दो फरार हैं.
मुठभेड़ में मारा गया था नोमान
बताते चलें कि पाकिस्तानी नागरिक और लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी नावेद और नोमान ने उधमपुर में पांच अगस्त को सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की एक बस पर हमला कर दिया था, जिसमें दो जवान शहीद हो गए थे, जबकि 11 अन्य घायल हो गए थे. मुठभेड़ में नोमान मारा गया था.
नावेद को गांववालों ने पकड़ा
आतंकी नावेद भागकर पास के एक गांव में छिप गया था, जिसे बाद में ग्रामीणों ने पकड़कर पुलिस को सौंप दिया. हिरासत में नावेद से पूछताछ के बाद पांच कश्मीरियों को गिरफ्तार किया गया था, जिन्होंने हमले में दोनों आतंकवादियों का साथ दिया था. इन्होंने हथियार पहुंचाने में मदद की थी.
क्या है रणबीर दंड संहिता
जम्मू और कश्मीर में भारतीय दण्ड संहिता की धारा 302 की बजाए रणबीर दंड संहिता की धारा लगाई जाती है. इसके तहत यदि मुजरिम को हत्या का दोषी पाया जाता है, तो उसको सजा-ए-मौत या फिर उम्रकैद की सजा दी जाती है. इसे महाराज रणबीर सिंह के नाम पर रखा गया है.