स्पेशल एनआईए कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि वह सोमवार को मालेगांव धमाका मामले की सुनवाई बंद कमरे में करने की मांग वाली याचिका पर आदेश जारी करेगा. दरअसल, एनआईए ने एक आवेदन दाखिल किया था और आरोपी को आवेदन की कॉपी नहीं देने की दलील दी थी. एनआईए ने कहा कि मालेगांव धमाका मामला सांप्रदायिक सौहार्द, राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून व्यवस्था से संबंधित है. यह मामला बेहद संवेदनशील प्रकृति का है. लिहाजा इस मामले में अनावश्यक पब्लिसिटी से बचने की जरूरत है.
सोमवार को जज वीएस पाडलकर के समक्ष मामले के आरोपी अपना जवाब दाखिल करेंगे. इसके बाद स्पेशल एनआईए कोर्ट के जज पाडलकर आदेश जारी करेंगे. इस बीच मामले के एक आरोपी समीर कुलकर्णी ने कोर्ट से कहा, 'मैं मामले की बंद कमरे में सुनवाई करने की एनआईए की मांग वाले आवेदन को सिरे से खारिज करता हूं. मैं चाहता हूं कि मामले की सुनवाई खुली अदालत में हो.' इस मामले में कुलकर्णी ने अपना जवाब भी फौरन दाखिल कर दिया है.
एनआईए ने कोर्ट में आवेदन दाखिल कर कहा कि मालेगांव धमाके के आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित ने मामले के मूल दस्तावेज की कॉपी के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल किया है. लिहाजा गवाहों की सुरक्षा और पब्लिक के हित में यह जरूरी है कि मामले की सुनवाई बंद कमरे में की जाए. एनआईए ने कहा कि एनआईए एक्ट की धारा 17 और यूएपीए की धारा 44 के तहत कोर्ट को बंद कमरे में सुनवाई करने अधिकार है.
एनआईए ने अपने आवेदन में कहा कि आरोपियों पर आरोप है कि उन्होंने मुस्लिम जिहादियों से बदला लेने और दो समुदायों के बीच दरार पैदा करने के लिए मालेगांव धमाके को अंजाम दिया. मालेगांव को बम धमाके के लिए इसलिए चुना गया, क्योंकि यह मुस्लिम बहुल इलाका था. इन सब बातों को ध्यान में रखकर और समाज में सौहार्द बनाए रखने के लिए जरूरी है कि मामले की सुनवाई बंद कमरे में हो और इसे पब्लिसिटी से दूर रखा जाए.
इससे पहले साल 2016 में कर्नल पुरोहित ने मामले की सुनवाई बंद कमरे में करने की मांग की थी. अभियोजन पक्ष को भी इससे कोई आपत्ति नहीं थी. इसके बाद उस समय आदेश दिया गया कि मामले की चार्जशीट को बंद कमरे में दाखिल किया जाए. इससे पहले मीडिया को मामले की सुनवाई में कोर्ट रूम में जाने और रिपोर्टिंग करने की इजाजत थी.