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MP-यूपी तक सीमित नहीं ISI, देशभर में 500 से ज्यादा एजेंट

मध्य प्रदेश में अवैध टेलीफोन एक्सचेंज चलाने वाले गिरोह की तरह देशभर में करीब पांच सौ से ज्यादा लोग पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए काम कर रहे हैं. इस बात का खुलासा एमपी एटीएस की आरोपियों से पूछताछ के दौरान हुआ है.

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एमपी एटीएस इस संबंध में आरोपियों से पूछताछ कर रही है
एमपी एटीएस इस संबंध में आरोपियों से पूछताछ कर रही है

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मध्य प्रदेश में अवैध टेलीफोन एक्सचेंज चलाने वाले गिरोह की तरह देशभर में करीब पांच सौ से ज्यादा संदिग्ध लोग पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए काम कर रहे हैं. इस बात का खुलासा एमपी एटीएस की आरोपियों से पूछताछ के दौरान हुआ है.

शुक्रवार को एटीएस ने इसी मामले में खुलासा किया था कि बीजेपी के दो वर्कर भी इस रैकेट में शामिल हैं. जिनसे लगातार पूछताछ की जा रही है. इनमें से एक ध्रुव सक्सेना बीजेपी आईटी सेल का सदस्य है. पूछताछ में संदिग्धों से जानकारी मिली कि पांच से ज्यादा लोग भारत में इस नेटवर्क के लिए काम करते हैं.

इस जासूसी रैकेट के सदस्य अवैध टेलीफोन एक्सचेंज के माध्यम से सेना से जुड़ी अहम जानकारी सरहद पार बैठे अपने आकाओं को भेज रहे थे. सीमा पार से ही इन लोगों को हवाला के जरिये पैसा भेजा जाता है. इस बात खुलासा आरोपियों के बैंक खातों की जांच के बाद हुआ. एटीएस ने इनसे जुड़े 44 खातों की जांच की है.

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एटीएस के सूत्रों की मानें तो नेटवर्क से जुड़े भोपाल के तीन लोगों को हर माह आईएसआई की तरफ से आठ लाख रुपये का भुगतान किया जाता था. इस रैकेट में शामिल कई लोग इस पैसे को जानकारी हासिल करने के लिए आगे दूसरे लोगों को भी देते थे.

बताते चलें कि जम्मू के आरएसपुरा में पुलिस ने 2016 में आईएसआई के दो एजेंट गिरफ्तार किए थे. जो पाकिस्तान में बैठे उनके आकाओं के लिए रणनीतिक जानकारी भेजने का काम करते थे. इसी जानकारी को एम एटीएस और यूपी की सुरक्षा एजेंसियों के साथ साझा किया गया था.

जम्मू से गिरफ्तार दोनों आईएसआई एजेंट से पूछताछ में पता चला था कि उन्हें इस काम के लिए सतना निवासी बलराम नामक एक शख्स पैसे दे रहा था. उसके बाद एमपी एटीएस की टीम ने दबिश देकर सतना से बलराम को गिरफ्तार कर लिया था. वही इस जासूसी रैकेट का सरगना है.

बलराम की निशानदेही पर बाकी के 10 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया था. आरोपी देश के विभिन्न भागों में सिमबॉक्स का आदान-प्रदान कर रहे थे. जांच के दौरान पता चला कि आईएसआई के इशारे पर काम करने वाले बलराम के कई बैंक खाते हैं, जिनमें हवाला के माध्यम से पैसा आता था.

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बलराम ही हवाला से मिला पैसा जासूसी रैकेट के अन्य सदस्यों को तक पहुंचाता था. बीजेपी वर्कर ध्रुव सक्सेना और मोहित अग्रवाल भी उसी के लिए काम करते थे.

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