बसपा नेता और बाहुबली मुख्तार अंसारी के लिए मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. यूपी की योगी सरकार ने मुख्तार को सेंट्रल जेल में शिफ्ट करने का फैसला किया है. उन्हें बुंदेलखंड की ललितपुर जेल में शिफ्ट किया जा सकता है. इस बाबत प्रमुख सचिव देवाशीष पांडा ने आदेश जारी किया है. मुख्तार के अलावा 10 अन्य अपराधियों को भी दूसरे जेलों में शिफ्ट किया जा सकता है.
इससे पहले यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान उनकी रिहाई के लिए मिलने वाले पैरोल पर हाईकोर्ट स्टे लगा दिया था. निचली अदालत ने बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी को चुनाव प्रचार करने के लिए 4 मार्च तक पैरोल पर रिहा करने का आदेश दिया था. हाई कोर्ट ने यह स्टे चुनाव आयोग के अपील पर दिया था, जिसमें कहा गया कि वह चुनाव को प्रभावित कर सकते हैं.
कौन हैं मुख्तार अंसारी
मुख्तार अंसारी का जन्म यूपी के गाजीपुर जिले में ही हुआ था. उनके दादा मुख्तार अहमद अंसारी अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे. जबकि उनके पिता एक कम्यूनिस्ट नेता थे. राजनीति मुख्तार अंसारी को विरासत में मिली. किशोरवस्था से ही मुख्तार निडर और दबंग थे. उन्होंने छात्र राजनीति में कदम रखा और सियासी राह पर चल पड़े.
विकास के नाम पर गैंग!
1970 में सरकार ने पिछड़े हुए पूर्वांचल के विकास के लिए कई योजनाएं शुरु की. जिसका नतीजा यह हुआ कि इस इलाके में जमीन कब्जाने को लेकर दो गैंग उभर कर सामने आए. 1980 में सैदपुर में एक प्लॉट को हासिल करने के लिए साहिब सिंह के नेतृत्व वाले गिरोह का दूसरे गिरोह के साथ जमकर झगड़ा हुआ. यह हिंसक वारदातों की श्रृंखला का एक हिस्सा था.
ब्रजेश ने बनाया नया गैंग
इसी के बाद साहिब सिंह गैंग के ब्रजेश सिंह ने अपना अलग गिरोह बना लिया और 1990 में गाजीपुर जिले के तमाम सरकारी ठेकों पर कब्जा करना शुरु कर दिया. अपने काम को बनाए रखने के लिए बाहुबली मुख्तार अंसारी का इस गिरोह से सामना हुआ. यहीं से ब्रजेश सिंह के साथ इनकी दुश्मनी शुरू हो गई थी.
अपराध की दुनिया में कदम
1988 में पहली बार हत्या के एक मामले में उनका नाम आया था. हालांकि उनके खिलाफ कोई पुख्ता सबूत पुलिस नहीं जुटा पाई थी. लेकिन इस बात को लेकर वह चर्चाओं में आ गए थे. 1990 का दशक मुख्तार अंसारी के लिए बड़ा अहम था. छात्र राजनीति के बाद जमीनी कारोबार और ठेकों की वजह से वह अपराध की दुनिया में कदम रख चुके थे.
पहला कदम और गैंगवार
पूर्वांचल के मऊ, गाजीपुर, वाराणसी और जौनपुर में उनके नाम का सिक्का चलने लगा था. 1995 में मुख्तार अंसारी ने राजनीति की मुख्यधारा में कदम रखा. 1996 में मुख्तार अंसारी पहली बार विधान सभा के लिए चुने गए. उसके बाद से ही उन्होंने ब्रजेश सिंह की सत्ता को हिलाना शुरू कर दिया. 2002 आते आते इन दोनों के गैंग ही पूर्वांचल के सबसे बड़े गिरोह बन गए.
मुख्तार के काफिले पर हमला
इसी दौरान एक दिन ब्रजेश सिंह ने मुख्तार अंसारी के काफिले पर हमला कराया. दोनों तरफ से गोलीबारी हुई इस हमले में मुख्तार के तीन लोग मारे गए. ब्रजेश सिंह इस हमले में घायल हो गया था. उसके मारे जाने की अफवाह थी. इसके बाद बाहुबली मुख्तार अंसारी पूर्वांचल में अकेले गैंग लीडर बनकर उभरे. मुख्तार चौथी बार विधायक हैं.