राजस्थान में हनुमानगढ़ की एडीजी कोर्ट अपराधियों के बुलंद हौंसले की गवाह बन गई. जहां भाई की हत्या के आरोपी को कोर्ट में जज चैंबर के सामने गोली मार दी गई. गोली लगने से आरोपी की मौत हो गई. गोली चलते ही जज भी अपने चेंबर से जान बचाकर भाग निकले. हालांकि पुलिसवालों ने लोगों की मदद से दोनों हमलावरों को मौके पर ही दबोच लिया.
हनुमानगढ़ की एडीजी कोर्ट सोमवार को गोलियों की आवाज़ से दहल उठी. भाई की हत्या के आरोपी को दो हमलावरों ने जज चेंबर के सामने गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया. हमलावर वारदात को अंजाम देकर भाग रहे थे लेकिन पुलिस ने उन्हें लोगों की मदद से दबोच लिया. साथ ही हमलावरों की मां भी कोर्ट परिसर से पकड़ी गई.
इस मामले में देर रात राजस्थान के सिंचाई मंत्री राम प्रताप के बेटे अमित साहू को भी पुलिस ने आरोपी बना दिया. अमित पर आरोप है कि वह हमले के समय कोर्ट परिसर में ही मौजूद था और हमलावरों से फोन पर संपर्क में था. हालांकि अमित साहू का कहना है कि वह कलेक्ट्रेट किसी काम से गया था और वह फोन आने पर किसी से बात कर रहा था. उसे हमले के बारे में कुछ पता नहीं है.
अमित का कहना है कि यह दो परिवारों के बीच आपसी रंजिश का मामला है. जिससे उनका कुछ लेना देना नहीं है. जबकि अमित के पिता और राजस्थान के सिंचाई मंत्री रामप्रताप का कहना है कि राजनीतिक साजिश की वजह से एफआईआर में उनके बेटे का नाम डाला गया है.
हनुमान गढ़ में 2009 में बलराम बकरी ने अपने नौ साथियों के साथ मिलकर कुलदीप सिंह की हत्या कर दी थी. हत्या के आरोप में बलराम बकरी, मोनू सिंह और हरीश सिंधी पेशी पर हनुमानगढ़ एडीजी कोर्ट में आए थे. इसी हत्या का बदला लेने के लिए कुलदीप के भाई सुखवीर सिंह उर्फ महंता, धर्मेंद्र सिंह और उनकी मां रानी कोर्ट में आई थी.
जैसे ही कोर्ट रुम में आरोपियों को बुलाया गया, सुखवीर और धमेंद्र ने आरोपियों के आते ही उन पर गोली चला दी. गोली लगते ही पेशी पर आया हरीश सिंधी वहीं गिर पड़ा मगर बलराम बकरी और मोनू सिंह बच गए. गोली लगने से घायल हुए 40 वर्षीय हरीश सिंधी को पुलिस अस्पताल ले गई जहां उसने दम तोड़ दिया.
इसी दौरान पुलिस ने लोगों की मदद से सुखवीर और धमेंद्र को धरदबोचा. पकड़े जाने के बाद भी हमलावर कोर्ट में चिल्ला रहे थे कि बलराम तू तो बच गया लेकिन तूझे मारकर ही रहेंगे. पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है.
गौरतलब है कि इससे पहले भी हनुमानगढ़ की एडीजी कोर्ट में दो बार हमला किया जा चुका है. 6 साल पहले एक हत्यारोपी को मारने के लिए यहां गोलीबारी की गई थी. जबकि चार साल पहले जज साहब के सामने ही एक आदमी ने एक हत्यारोपी पर गंडासे से हमला कर दिया था.