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उत्‍कल हादसा: आजतक के स्टिंग का हुआ असर, 13 कर्मचारियों को रेलवे ने किया बर्खास्त

इंडिया टुडे ने 18 अगस्त को हुए ट्रेन हादसे की परत-दर-परत जांच की तो सामने आया कि ये सब कुछ हो सकता है लेकिन महज लापरवाही नहीं.

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उत्कल एक्सप्रेस ट्रेन पटरी से उतरने का हैरान कर देने वाला सच
उत्कल एक्सप्रेस ट्रेन पटरी से उतरने का हैरान कर देने वाला सच

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खतौली मुजफ्फरनगर में हुए उत्‍कल एक्‍सप्रेस हादसे पर आजतक के स्टिंग का जोरदार असर हुआ है. रेलवे ने खतौली में हुए उत्‍कल एक्‍सप्रेस हादसे के दिन ड्यूटी पर तैनात 13 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है. आजतक के स्टिंग में स्टेशन मास्टर का खुलासा परेशान कर देने वाला था. उनके खोले गए राज की तह में जाने के लिए आजतक ने जूनियर इंजीनियर मेंटेनेंस से सवाल जवाब किए. जेई ने स्टेशन मास्टर से भी सनसनीखेज खुलासे किए. उसने बताया कि पटरी तो सुबह से ही टूटी पड़ी थी. उसने स्टेशन मास्टर से लेकर दिल्ली कंट्रोल तक को लिखित में बता दिया था कि किसी भी समय ट्रेन पलट सकती है. हालांकि उसके अनुसार इस चेतावनी को सबने नजरअंदाज कर दिया.

यूपी के मुजफ्फरनगर जिले के खतौली में इसी महीने जोरदार आवाज के साथ 20 जानें चली गईं तो रेलवे अधिकारियों ने इसे संभावित लापरवाही का नतीजा बता कर स्थिति की गंभीरता कम दिखाने की कोशिश की. इंडिया टुडे ने 18 अगस्त को हुए ट्रेन हादसे की परत-दर-परत जांच की तो सामने आया कि ये सब कुछ हो सकता है लेकिन महज लापरवाही नहीं.

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बता दें कि ये हादसा हरिद्वार जा रही कलिंगा उत्कल एक्सप्रेस की 13 बोगियों के पटरी से उतरने की वजह से हुआ था. हादसे के एक दिन बाद रेलवे बोर्ड के सदस्य मोहम्मद जमशेद ने कहा था, ‘गवर्मेंट रेलवे पुलिस (जीआरपी) ने 151, 154 और 427 के तरह एफआईआर दर्ज की है. ये धाराएं शरारती हरकत से रेलवे संपत्ति को नुकसान पहुंचाना, लापरवाही की वजह से मौत, लोगों की जान या निजी सुरक्षा को खतरे में डालने वाली गतिविधि से बड़ी चोट पहुंचाना आदि से संबंधित हैं.’ हर ट्रेन हादसे के बाद जैसे कि नियमित प्रक्रिया अपनाई जाती है, रेलवे अधिकारियों ने खतौली के पास ट्रेन पटरी से उतरने के हादसे की भी औपचारिक जांच के आदेश दिए हैं.

हालांकि खतौली ट्रेन हादसे को लेकर देश को महीनों या वर्षों तक इंतजार करने की जरूरत नहीं पड़ेगी कि सरकार जांच पूरी करे और फिर उसकी रिपोर्ट को सार्वजनिक करे. इंडिया टुडे ने इस यथास्थिति को तोड़ कर खतौली ट्रेन हादसे की जांच महज़ 15 दिन में पूरी कर ‘दूध का दूध और पानी का पानी’ कर दिया है. जांच के नतीजे हैरान कर देने वाले हैं.

इंडिया टुड़े के अंडर कवर रिपोर्टर्स की टीम ने जांच से पता लगाया कि रेलवे की ओर से किस तरह हर स्तर पर मानव सुरक्षा को ताक पर रखते हुए गैर जिम्मेदारी दिखाई गई जिसकी वजह से 19 अगस्त की शाम को इतना बड़ा हादसा हुआ.

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जांच से सामने आया है कि उस दिन खतौली रूट पर गुजरीं अन्य ट्रेनों के यात्रियों की किस्मत अच्छी थी कि उनके साथ कोई हादसा नहीं हुआ, वरना जिस ट्रैक पर ये ट्रेनें दौड़ रही थीं वो बुरी तरह क्षतिग्रस्त था. इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर्स ने ऐसे कई अधिकारियों की जांच की जो हादसे के बाद स्थिति पर नजर रखे हुए थे.

19 अगस्त को जिस वक्त हादसा हुआ, उस वक्त खतौली में स्टेशन मास्टर प्रकाश सिंह की ड्यूटी थी. प्रकाश सिंह ने खुलासा किया कि कि इंजीनियर्स रेलरोड की मरम्मत में लगे थे वहीं ट्रैक ट्रेनों की आवाजाही सामान्य दिनों की तरह पूरे वेग से जारी थी. ये बुनियादी सुरक्षा नियमों का खुल्लमखुल्ला उल्लंघन था. प्रकाश सिंह के मुताबिक रेल ज्वाइंट्स के क्षतिग्रस्त होने की औपचारिक शिकायतें भेजने के भेजने के बावजूद रेलवे के सेंट्रल कंट्रोल ने अनदेखी की.

स्टेशन मास्टर ने इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर्स को बताया, ‘इंजीनियर 19 अगस्त को सुबह से ही काम कर रहे थे लेकिन हम में से किसी को इसके लिए सूचित नहीं किया गया था. उन्होंने मरम्मत के काम का कोई हवाला नहीं दिया जबकि ट्रैक पर ट्रेनों की आवाजाही जारी थी. इंजीनियर पटरियों को खोलने और बांधने का काम करते रहे.’

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रिपोर्टर ने जानना चाहा, ‘आपका कहने का मतलब ट्रैक का कुछ हिस्सा हटा हुआ था?’

प्रकाश सिंह ने कहा, ‘हां, उन्होंने (इंजीनियरों) ने उसे हटा रखा था. वो बिना अनुमति काम कर रहे थे. वो मरम्मत के लिए ट्रेनों का संचालन बंद करने के लिए कह रहे थे, कंट्रोल सेक्शन ने अनुमति नहीं दी थी.’

प्रकाश सिंह के मुताबिक अधिकारियों में से किसी ने टूटे रेल ज्वाइंट्स को लेकर भेजे गए आपातकालीन संदेशों का संज्ञान नहीं लिया. प्रकाश सिंह ने बताया कि इंजीनियरों ने सेंट्रल कंट्रोल से 20 मिनट के लिए ट्रेनों का संचालन रोकने के लिए आग्रह किया था जिससे कि वो ट्रैक के क्षतिग्रस्त हिस्से को बदल सके.

स्टेशन मास्टर ने बताया कि कंट्रोल ने इसके लिए मना कर दिया था. वहां से जवाब था कि जनशताब्दी, उत्कल और अन्य ट्रेनें अपने रूट पर थीं. कंट्रोल कमांड के मुताबिक उस वक्त ट्रेनों का संचालन ब्लॉक जारी करने के लिए निर्देश देना संभव नहीं था.

ये सुनने में जितना खराब और डरावना लगे लेकिन स्टेशन मास्टर प्रकाश सिंह के मुताबिक इंजीनियरों ने खतौली में कलिंगा उत्कल के रूट से चार फीट ट्रैक को हटा दिया था. ऐसी स्थिति में ट्रेन का पटरी से उतरना निश्चित था.

खतौली में जूनियर रेलवे इंजीनियर मोहन लाल मीणा ने भी स्टेशन मास्टर प्रकाश सिंह ने जो कहा उसका समर्थन किया. मीणा ने दावा किया कि उनकी तरफ से ट्रैक रिपेयर के लिए लिखित शिकायत भेजी गई थी, जिसे किसी ने नहीं सुना.

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मीणा ने कहा, ‘हमने मरम्मत के लिए कंट्रोलिंग कमांड से ट्रैफिक ब्लॉक की मांग की थी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. लिखित में ये बताने के बावजूद भी ट्रैक का एक जोड़ टूट गया है और उसकी वजह से हादसा हो सकता है, हमें अनुमति नहीं दी गई.’

रिपोर्टर ने पूछा, ‘उनकी तरफ से क्या कहा गया था?’ मीणा ने बताया, ‘उन्होंने सपाट मना कर दिया था. उन्होंने कहा कोई ब्लॉक जारी नहीं किया जा सकता. इस पर मैंने उनसे कहा कि अगर कोई ट्रेन पटरी से उतर गई तो हम जिम्मेदार नहीं होंगे.’

 

 

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