scorecardresearch
 

क्या मोदी राज में नक्सलियों पर लग पाई लगाम, या मनमोहन ने किया था कुछ काम?

आंकड़ों के लिहाज से अगर नजर डालें तों दोनों ही सरकारों में नक्सलियों ने अपना खूनी खेल जारी रखा. हालांकि यूपीए की तुलना में एनडीए सरकार के कार्यकाल के दौरान नक्सली हिंसा की घटनाएं ज्यादा हुई हैं.

Advertisement
X
मंगलवार को दंतेवाड़ा में नक्सली हमला (फोटो-इंडिया टुडे आर्काइव)
मंगलवार को दंतेवाड़ा में नक्सली हमला (फोटो-इंडिया टुडे आर्काइव)

Advertisement

देश में आतंकवाद के समान ही एक दूसरी बड़ी चुनौती है नक्सलवाद. आए दिन नक्सली हिंसा की घटनाएं देखने और पढ़ने को मिलती हैं. आम चुनाव के इस दौरे में नक्सल प्रभावित इलाकों में एक सवाल ये भी सिर उठाता दिखता है कि किस दल की सरकार में नक्सलवादी घटनाएं कम हुई हैं. किस पार्टी के सत्ताकाल में नक्सलियों पर काबू करने की कोशिशें सफल होती दिखाई दीं. अगर पिछले दस सालों पर नजर डालें तो यूपीए और एनडीए दोनों ही सरकारों के कार्यकाल के दौरान नक्सलियों ने हिंसा की वारदातों को खुलकर अंजाम दिया. इनमें कुछ ऐसी घटनाएं भी शामिल हैं, जो कभी भुलाई नहीं जा सकती हैं.

चाहे मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली UPA सरकार के समय दंतेवाड़ा में सबसे बड़ा नक्सली हमला हो या फिर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली NDA सरकार के शासनकाल में सुकमा का नक्सली हमला. जिसमें सुरक्षा बलों के 26 जवान मौके पर ही शहीद हो गए थे. आंकड़ों के लिहाज से अगर नजर डालें तों दोनों ही सरकारों में नक्सलियों ने अपना खूनी खेल जारी रखा. हालांकि यूपीए की तुलना में एनडीए सरकार के कार्यकाल के दौरान नक्सली हिंसा की घटनाएं ज्यादा हुई हैं. आइए आपको बताते हैं पिछले दस सालों में हुई नक्सली हमलों और हिंसा की घटनाओं के बारे में.

Advertisement

मनमोहन सिंह (UPA) के कार्यकाल में नक्सली घटनाएं

12 जुलाई 2009

छत्तीसगढ़ के राजनादगांव में नक्सलियों ने एक ही दिन में दो बड़े हमले किए थे. मानपुर मोहला के जंगलों में अपने साथियों को बचाने निकली पुलिस टीम खुद नक्सलियों के हमले का शिकार हो गई थी. मदनवाड़ा पुलिस चौकी पर दो सिपाहियों की हत्या की खबर के बाद एसपी वीके चौबे करीब 100 जवानों के साथ पुलिस चौकी की तरफ रवाना हुए थे, लेकिन रास्ते में नक्सलियों ने बारूदी सुरंग बिछा रखी थी. जोरदार धमाके और गोलीबारी के बीच ज्यादातर जवान संभलने से पहले ही शहीद हो गए थे. इस हमले के कुछ घंटे के बाद ही नक्सलियों ने दूसरा हमला सीतापुर इलाके में किया था. जहां पुलिस के 10 जवानों की हत्या कर दी गई थी और उनके हथियार लूट लिए गए थे.

6 अप्रैल 2010

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में जंगलों के बीच में नक्सलियों के हमले में सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हो गए थे. दंतेवाड़ा के जंगलों में हुई खूनी भीड़ंत में नक्सलियों की तरफ से 3000 राउंड गोलियां चलाई गई थीं. नक्‍सली सीआरपीएफ के जवानों को अपने जाल में फंसा कर सड़क से 400 मीटर की दूरी पर ले गए थे. अब तक के सबसे बड़े इस नक्सली हमले को अंजाम देने में नक्सलियों का भी कम नुकसान नहीं हुआ था. सीआरपीएफ के जवानों की गोलियों से नक्सलियों के नौ नेता मारे गए थे.

Advertisement

25 मई 2013

छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सलियों ने कांग्रेस पार्टी के कई नेताओं पर हमला कर दिया था. तोंगपाल से 31 किमी पहले झीरम घाटी में इस हमले को अंजाम दिया गया था. नक्‍सलियों के हमले में कांग्रेसी नेता महेंद्र कर्मा और उदय मुदलियार समेत 28 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 10 पुलिसकर्मी भी शहीद हो गए थे. हमले के बाद 6 कांग्रेस नेता लापता भी हो गए थे. नक्सलियों के निशाने पर मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष नंद कुमार पटेल थे. कांग्रेसी नेताओं के काफिले में कुल 20 गाड़ियां थीं. जिनमें नेताओं समेत करीब 120 कार्यकर्ता भी शामिल थे. सभी कांग्रेस नेता परिवर्तन यात्रा के सिलसिले में सुकमा से जगदलपुर जा रहे थे. बताया जाता है कि नक्सलियों ने कांग्रेस के काफिले पर लगातार दो घंटे तक फायरिंग की थी.

11 मार्च 2014

छत्तीसगढ़ के सुकमा में एक बार फिर नक्‍सलियों ने खून की होली खेली थी. जीरम घाटी में फिर से नक्सलियों ने सुरक्षा बलों को निशाना बनाया था. जिसमें 14 जवान शहीद हो गए थे. नक्सलियों ने इस वारदात को सर्च ऑपरेशन के दौरान अंजाम दिया था.

12 अप्रैल 2014

छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके में एक बड़ा नक्सली हमला किया गया था. उस हमले में  सुरक्षा बल के 5 जवानों समेत 14 लोगों की मौत हो गई थी. सुरक्षा बल की टीम सूचना के आधार पर इलाके में गश्त कर रही थी.

Advertisement

मोदी (NDA) के कार्यकाल में नक्सली घटनाएं

अगस्त 2014

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सलियों घात लगाकर सीआरपीएफ के जवानों पर हमला कर दिया था. नक्सलियों की गोलीबारी में सीआरपीएफ के तीन जवान घायल हो गए थे.

22 मार्च 2015

लातेहार इलाके में नक्सलियों ने कुछ राज नेताओं के परिजनों को निशाना बनाया था. नक्सलियों ने लातेहार-लोहरदगा जिले की सीमा पर स्थित मुरमू गांव के जमींदार, भाजपा नेता और झारखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष ठाकुर बालमुकुंद नाथ शाहदेव के दो भाईयों और भतीजे की हत्या कर दी थी. इमके शव मरायन जंगल से बरामद हुए थे. इस हमले में  करीब 100 माओवादी शामिल थे. माओवादियों ने इस घटना की जिम्मेदारी भी ली थी.

अप्रैल 2015

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सलियों ने बारुदी सुरंग बिछाई थी. जैसे ही सुरक्षा बलों का काफिला वहां से गुजरा, तभी नक्सलियों ने हमला कर दिया था. और इसी दौरान बारुदी सुरंग के फटने से सुरक्षा बल के 4 जवान शहीद हो गए थे. जबकि 8 जवान घायल हो गए थे.

मार्च 2017

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सलियों ने अपने चिर परिचित अंदाज में लैंडमाइन ब्लास्ट किया था. जिसमें वहां से गुजरने वाले CRPF के काफिले  के 7 जवान शहीद हो गए थे. इस हमले में कई जवानों के घायल होने की भी ख़बर थी.

Advertisement

11 मार्च 2017

इसके बाद छत्तीसगढ़ में ही नक्सलियों ने सीआरपीएफ की 219वीं बटालियन को निशाना बनाया था. जोरदार हमला किया गया था. जिसमें सीआरपीएफ के 12 जवान शहीद हो गए थे. जबकि कई जख्मी भी हो गए थे. जिन्हें उपचार के लिए अस्पताल भेजा गया था.

25 अप्रैल 2017

छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सलियों ने एक बड़े हमले को अंजाम दिया था. इस नक्सली हमले में 26 जवान शहीद हो गए थे. जीरम घाटी हमले के बाद इसे सबसे बड़ा नक्सली हमला माना गया था. इस दौरान कई जवानों के घायल होने के समाचार भी मिले थे.

13 मार्च 2018

छत्तीसगढ़ के सुकमा में 9 जवान नक्सली हमले में शहीद हो गए हैं. 6 जवानों की हालत गंभीर बताई जा रही है. सुकमा के क्सिटाराम में यह हमला हुआ है. सीआरपीएफ की 212वीं बटालियन के ये सभी जवान हैं. ऐसा नहीं है कि इन्होंने तैयारी पूरी नहीं की थी. सभी जवान एंटी लैंडमाइन व्हीकल में सवार थे.

30 अक्टूबर 2018

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में अरनपुर में मीडियाकर्मियों पर नक्सलियों ने हमला कर दिया था. यह हमला दूरदर्शन की मीडिया टीम पर किया सुबह के वक्त किया गया था. इस हमले में दूरदर्शन के एक कैमरामैन की मौत हो गई थी. जबकि मीडिया टीम की सुरक्षा में लगे दो जवान भी शहीद हो गए थे.

Advertisement

11 नवंबर 2018

छत्तीसगढ़ में हुए एक नक्सली हमले में सुरक्षा बलों के पांच जवान और एक स्थानीय नागरिक घायल हो गए थे. यह हमला बीजापुर और कांकेर जिले में हुआ. सुरक्षा बलों की जिस टीम पर हमला हुआ वह बीजापुर में चुनाव ड्यूटी से अपने कैंप की ओर लौट रही थी. डीआईजी (एंटी नक्सल्स ऑपरेशंस) पी सुंदर राज ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि यह हमला आईईडी विस्फोट से किया गया था. उन्होंने बताया था कि सभी घायलों को बीजापुर के अस्पताल में भर्ती कराया गया. आईईडी विस्फोट के बाद जवानों ने तत्काल कार्रवाई की थी.

4 अप्रैल 2019

छ्त्तीसगढ़ के कांकेर में सुरक्षा बल के जवानों की नक्सलियों से मुठभेड़ हो गई. इस दौरान बीएसएफ के 4 जवान शहीद हो गए. जबकि दो जवान गोली लगने से घायल हो गए. बीएसएफ की टीम उस इलाके में सर्चिंग ऑपरेशन चला रही थी. उसी दौरान नक्सलियों ने हमला कर दिया था.

9 अप्रैल 2019

दंतेवाड़ा में मतदान से ठीक पहले छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा में नक्सलियों ने बीजेपी विधायक के काफिले पर हमला कर दिया. नक्सलियों ने बीजेपी विधायक के काफिले में शामिल एक बुलेटप्रूफ कार को निशाना बनाते हुए बड़ा धमाका किया. जिसमें बीजेपी विधायक भीमा मंडावी की मौत हो गई. हमले में 4 जवान भी शहीद हो गए हैं. कुछ जवान घायल भी हुए हैं, जिन्हें उपचार के लिए भेजा गया है.

Advertisement
Advertisement