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दिल्ली: शेल्टर होम से 9 लड़कियां गायब, कहीं रेड लाइट एरिया तो नहीं पहुंचा दी गईं?

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने डिस्ट्रिक्ट ऑफिसर और शेल्टर होम के अधीक्षक को तुरंत निलंबित करने का आदेश दिया है. दिल्ली महिला आयोग ने इस मामले की जांच के लिए दिल्ली पुलिस की एफआईआर को क्राइम ब्रांच में स्थानांतरित करने के अपील की है ताकि बच्चियों को खोजने के लिए तुरंत कदम उठाए जाएं.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

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दिलशाद गार्डन स्थित संस्कार आश्रम से 1 और 2 दिसंबर की रात को 9 लड़कियां गायब हो गईं. शेल्टर होम के अधिकारियों को उनके गायब होने की वजह की कोई जानकारी नहीं है. लड़कियां शेल्टर होम में नहीं हैं इसकी जानकारी अधिकारियों को 2 तारीख की सुबह हुई. सभी लड़कियां मानव तस्करी और देह व्यापार से बचाकर लाई गई थीं.

इस मामले में जीटीबी एन्क्लेव पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है. गौरतलब है कि इन 9 लड़कियों को बाल कल्याण समिति- VII के आदेश पर 4 मई 2018 को द्वारका के एक शेल्टर होम से इस शेल्टर होम में लाया गया था. सभी लड़कियां मानव तस्करी और देह व्यापार से बचा कर शेल्टर होम लाई गईं थी. आशंका है कि इन लड़कियों की गुमशुदगी के पीछे दिल्ली के रेड लाइट इलाकों में काम करने वाले गिरोहों का हाथ हो सकता है. इसमें शेल्टर होम के अधिकारियों का हाथ होने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है.

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इस मामले में दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने उपमुख्यमंत्री को पत्र लिखा है और जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है. स्वाति मालिवाल के मुताबिक आश्रय गृह के अधिकारीयों की सांठगांठ से कोठों के मालिकों द्वारा इनके अपहरण की संभावना की विस्तृत जांच की जानी चाहिए. इस मामले में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने डिस्ट्रिक्ट ऑफिसर और शेल्टर होम के अधीक्षक को तुरंत निलंबित करने का आदेश दिया है. दिल्ली महिला आयोग ने इस मामले की जांच के लिए दिल्ली पुलिस की एफआईआर को क्राइम ब्रांच में स्थानांतरित करने के अपील की है ताकि बच्चियों को खोजने के लिए तुरंत कदम उठाए जाएं.

इससे पहले भी आयोग में बाल कल्याण समिति V की पूर्व सदस्य ने दिलशाद गार्डन शेल्टर होम में व्याप्त अव्यवस्थाओं के बारे में एक शिकायत दर्ज करवाई थी. इसमें कहा गया था कि शेल्टर होम की लड़कियों के साथ गलत बर्ताव होता था और आश्रय गृह के अधीक्षक द्वारा उन्हें मारा पीटा जाता था. मगर इन शिकायतों पर न तो दिल्ली पुलिस और न ही महिला एवं बाल विकास विभाग ने कोई कार्रवाई की. बता दें कि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धारा 75 के अंतर्गत बच्चों पर अत्याचार एक संज्ञेय अपराध है.

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