निर्भया गैंगरेप के दोषियों विनय शर्मा और मुकेश सिंह की क्यूरेटिव पिटीशन याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो गई है. इसी के साथ ही इन दोषियों को फांसी पर लटकाने का रास्ता भी साफ हो गया है. अब 22 जनवरी को इन्हें फांसी पर लटकाने का रास्ता साफ हो गया है. सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को पांच जजों की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की.
जस्टिस एनवी रमणा की अध्यक्षता में हुई सुनवाई में इनकी याचिका खारिज कर दी गई है. फैसले के दौरान जजों ने कहा कि क्यूटेरिव याचिका में कोई आधार नहीं है. जस्टिस एनवी रमणा, जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस आर एफ नरीमन, जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने ये फैसला दिया है.
22 जनवरी को फांसी का रास्ता साफ
इन दोषियों ने अपने सभी कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल कर लिया है. अब इनके पास एक मात्र संवैधानिक विकल्प रह गया है. अब ये दोषी राष्ट्रपति के पास दया याचिका लगा सकते हैं. दया याचिका में राष्ट्रपति से सजा माफ करने या फिर मृत्युदंड की सजा को उम्र कैद में बदलने की गुहार लगाई जाती है.
संविधान की धारा-72 के तहत राष्ट्रपति को ये अधिकार है कि वे सजा माफ कर सकते हैं. इसके लिए उन्हें किसी कारण को बताने की जरूरत नहीं पड़ती है. ये राष्ट्रपति के विवेक पर निर्भर करता है. अब ये दोषियों पर निर्भर करता है कि वे दया याचिका लगाते हैं या नहीं. बता दें कि पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया कांड के चारों दोषियों को 22 जनवरी की सुबह सात बजे फांसी के लिए डेथ वारंट जारी किया है
Asha Devi, mother of 2012 Delhi gang-rape victim: This is a big day for me. I had been struggling for the last 7 years. But the biggest day will be 22nd January when they (convicts) will be hanged. https://t.co/GBfPt9ezIb pic.twitter.com/uMPcVfP7Sf
— ANI (@ANI) January 14, 2020
ऐसे लगाई जाती है दया याचिका
राष्ट्रपति के पास दया याचिका लगाने की प्रक्रिया लंबी है. हालांकि इस मामले में तीव्रता लाने के लिए डिजिटल माध्यम का इस्तेमाल किया जा सकता है. दया याचिका लगाने के लिए सबसे पहले जेल प्रशासन को याचिका दी जाती है. जेल प्रशासन ये याचिका दिल्ली सरकार को भेजता है. यहां इस याचिका पर दिल्ली सरकार का गृह मंत्रालय अपनी टिप्पणी करता है. इसके बाद ये याचिका एलजी के पास भेजी जाएगी. यहां से याचिका गृह मंत्रालय को जाता है. गृह मंत्रालय में कई वरिष्ठ अधिकारी इस याचिका पर अपनी टिप्पणी देते हैं. इसके बाद ये याचिका राष्ट्रपति को जाती है. इस याचिका पर राष्ट्रपति अपना फैसला लिखते हैं.
इसके बाद इसी प्रक्रिया को फॉलो करते हुए ये याचिका वापस जेल प्रशासन के पास आता है. यानी कि राष्ट्रपति से गृहमंत्रालय. इसके बाद ये फाइल एलजी को मिलती है. एलजी ऑफिस से ये फाइल दिल्ली सरकार के गृह मंत्रालय को भेजी जाती है. यहां से ये फाइल जेल प्रशासन को भेजी जाती है.
अक्षय और पवन ने दाखिल नहीं की है क्यूरेटिव पिटीशन
निर्भया रेप केस के दो दोषियों अक्षय और पवन ने अबतक क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल नहीं किया है. इस लिहाज से इनका एक कानूनी विकल्प अभी भी बचा हुआ है.