16 दिसंबर, साल 2012 में हुए निर्भया गैंगरेप के दोषी विनय शर्मा ने अगस्त 2016 में तिहाड़ जेल में आत्महत्या की कोशिश की थी. जेल में इसने कुछ दवाइयां खाने के बाद गमछे (तौलिया) को गले में बांधकर जान देने की कोशिश की थी. विनय तिहाड़ के जेल नंबर-8 में बंद था, आत्महत्या की कोशि के दौरान उसे गंभीर हालत में दीन दयाल अस्पताल में भर्ती किया गया था.
कोर्ट ने सुनाई थी मौत की सजा
साल 2012 में 16 दिसंबर की रात चलती बस में गैंगरेप के मामले में कुल 6 आरोपी थे. राम सिंह की मौत के बाद मामले में बाकी पांच को दोषी पाया गया. पांच में एक नाबालिग दोषी को छोड़कर बाकी चार को सजा-ए-मौत का हुक्म दिया गया है. 13 सितंबर, 2013 को चार दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई. नाबालिग को तीन साल की अधिकतम सजा के साथ सुधार केंद्र में भेज दिया गया था जिसे बाद में रिहा किया गया. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने 2017 के फैसले में दिल्ली हाईकोर्ट और निचली अदालत द्वारा गैंगरेप और हत्या के मामले में उन्हें सुनाई गई मौत की सजा को बरकरार रखा था.
पुनर्विचार याचिका पर फैसला
निर्भया गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट चार में से तीन दोषियों की पुनर्विचार याचिका पर 9 जुलाई को फैसला सुनाएगा. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ के. मुकेश, पवन गुप्ता और विनय शर्मा की याचिकाओं पर सोमवार को अपना फैसला सुनाएंगे.
राम सिंह ने जेल लगाई थी फांसी
बता दें कि देश को झकझोर देने वाली गैंगरेप की इस वारदात के मुख्य आरोपी राम सिंह ने भी तिहाड़ में ही आत्महत्या कर ली थी. राम सिंह का शव 11 मार्च 2013 को तिहाड़ जेल के सेल में फंदे से लटका मिला था. सिंह की खुदकुशी के बाद जेल प्रशासन पर कैदियों की सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े हुए थे.
कोर्ट में पेशी से पहले दी थी जान
गौरतलब है कि राम सिंह ने कोर्ट में पेशी से ठीक पहले सुबह 5 बजे तिहाड़ जेल में खुदकुशी कर अपनी जान दे दी थी. वह जेल नंबर-3 में बंद था. उसने जेल में लगी ग्रिल में अपनी शर्ट और दरी का फंदा बनाकर जान दी थी. राम सिंह ही वो आरोपी था जिसने अदालत में कहा था कि उसने बहुत बड़ा गुनाह किया है लिहाजा उसे फांसी दे दी जाए. उसके गुनाहों की सजा का इंतज़ार अभी पूरा देश कर ही रहा था कि उसने खुद ही अपनी मौत को अंजाम दिया था.