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निर्भया के गुनहगार की बहन बोली, 'गलती हर बार लड़कों की ही नहीं होती'

निर्भया कांड के चारों दोषियों के लिए देश की सबसे बड़ी अदालत ने कोई रहम नहीं दिखाया और उनकी फांसी की सजा को बरकरार रखा. मगर इस जघन्य कांड मे शामिल एक दोषी की बहन का बयान हैरान करने वाला है. सजा-ए-मौत पाए पवन गुप्ता की बहन का कहना है कि इंसान से गलती हो जाती है, उसे दूसरा मौका मिलना चाहिए.

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पवन गुप्ता की बहन अपने भाई को दूसरा मौका देने की बात करती है
पवन गुप्ता की बहन अपने भाई को दूसरा मौका देने की बात करती है

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निर्भया कांड के चारों दोषियों के लिए देश की सबसे बड़ी अदालत ने कोई रहम नहीं दिखाया और उनकी फांसी की सजा को बरकरार रखा. मगर इस जघन्य कांड मे शामिल एक दोषी की बहन का बयान हैरान करने वाला है. सजा-ए-मौत पाए पवन गुप्ता की बहन का कहना है कि इंसान से गलती हो जाती है, उसे दूसरा मौका मिलना चाहिए.

दिल्ली के आरके पुरम में रविदास शिविर की छोटी सी गलियों के बीच एक कमरे वाले घर में निर्भयाकांड के दोषी पवन गुप्ता का परिवार रहता है. उस मकान में एक छोटी रसोई है, तो दूसरी तरफ दीवार पर एक एलईडी टीवी लगा है. पवन को फांसी की सजा मिलने के बाद इस घर में मातम पसरा है.

जब कोर्ट का फैसला आया तब पवन गुप्ता के माता-पिता अदालत में मौजूद थे, जबकि उसकी छोटी बहन बोर्ड परीक्षा के चलते अपने घर पर ही थी. जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया, तब वह टीवी के सामने ही बैठी थी. फैसला सुनते ही उसने हमारे सहयोगी समचार पत्र मेल टुडे को तेज आवाज़ में बताया कि 'भारत में जो अपराध करता है. और कोई भी गलती करता है. तो उसे कम से कम उस गलती को सुधारने का एक मौका दिया जाना चाहिए. लेकिन अदालत ने मेरे भाई को दूसरा मौका नहीं दिया है.'

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जब उस लड़की से उसके भाई के गुनाह के बारे में पूछा गया तो उसने कहा 'लडकी हंसी तो फंसी.' उसका कहना था कि हमेशा लड़के की ही गलती ऐसा जरूरी नहीं है. लड़कियां भी उन्हें उत्तेजित करती हैं. यहां तक कि वो भी जींस और अन्य वेस्टर्न कपड़े पहनती है. अगर कोई व्यक्ति उसे घूरता है या कमेंट करता है, तो वह नीचे देखकर वहां से निकल जाती है.

वह अपने भाई का बचाव करते हुए बोली कि अगर वह इस तरह की बातों का आनंद लेना शुरू कर दे, तो लड़का सोचता है कि वह उसे इशारा दे रही है. उसका कहना है कि पवन की गिरफ्तारी के बाद उसका परिवार टूट गया है. उसके परिवार ने उसके सबसे छोटे 8 वर्षीय भाई को अज्ञात स्थान पर भेज दिया है. ताकि उसे स्थानीय लोगों और रिश्तेदारों के उत्पीड़न का सामना न करना पड़े.

पवन की बहन का कहना है कि उसके परिवार ने पहले से ही उसकी एक बहन को खो दिया है, जो 16 साल की उम्र में इस सदमे की वजह से मर गई थी. उसने बताया कि फरवरी 2016 में जब पवन अपनी बहन के अंतिम संस्कार में भाग लेने आया था, तब से वह उससे नहीं मिली है. जब उसके माता-पिता पवन से मिलने के लिए तिहाड़ जेल जाते हैं, तो उसे साथ नहीं लेकर जाते. कहते हैं कि जेल में बुरे लोग हैं.

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उदास चेहरा बनाकर वो लड़की कहती है कि इस घटना के बाद उसकी छवि स्कूल में खराब हो गई. उसने अपने सभी दोस्तों को खो दिया है, लेकिन वह अब भी अपने भाई से प्यार करती है. भाई से बिछडने का दुख उसकी आंखों से झांकता नजर आता है.

मेल टुडे की टीम जे.जे. क्लस्टर में मौजूद दूसरे दोषी राम सिंह, मुकेश और विनय शर्मा के घरों का दौरा भी किया, लेकिन उस सभी जगहों पर ताले लगे हुए थे. इस फैसले पर रविदास शिविर के निवासियों ने मिश्रित प्रतिक्रियाएं दी. वहां के कुछ लोगों ने कहा कि कोर्ट का फैसला सही है, जबकि कुछ लोगों ने कहा कि फैसला ग़लत है.

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