बहुचर्चित नीतीश कटारा हत्याकांड मामले के दोषी विकास यादव की 25 साल जेल की सजा कम किए जाने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई की. इस मामले में कोर्ट ने विकास यादव की पैरोल याचिका पर सीबीआई को नोटिस जारी किया है.
The notice has also been issued to Delhi Government by the Supreme Court on the plea filed by convict Vikas Yadav, seeking four weeks parole, in Nitish Katara murder case. https://t.co/5uvHQHdbKe
— ANI (@ANI) May 10, 2019
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नीतीश कटारा हत्याकांड के मुख्य गवाह अजय कटारा की सुरक्षा समीक्षा एक हफ्ते में पूरा करने का फरमान सुनाया था.
नीतीश कटारा हत्याकांड में यूपी के प्रभावशाली नेता डीपी यादव के बेटे विकास यादव और विशाल यादव दोषी करार दिए गए थे. इनके अलावा सुखदेव पहलवान को भी अदालत ने दोषी पाया था. इसके बाद इस हत्याकांड के गवाह अजय कटारा को लगातार धमकियां मिलती रही. जिसके चलते उन्होंने खुद को जान का खतरा बताते हुए सुरक्षा मुहैया कराने की मांग को लेकर कुछ समय पहले ही सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी.
जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गृह मंत्रालय, दिल्ली पुलिस और यूपी सरकार को अपना जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किया था. अजय कटारा का आरोप है कि आरोपी 8 बार उन पर जानलेवा हमला कर चुके हैं. अक्टूबर 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले के दोषी विकास, विशाल यादव और सुखदेव पहलवान की याचिका पर सुनवाई करने के बाद उनकी सजा 5 साल कम कर दी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने विकास यादव और विशाल यादव की सजा को 30 साल से घटाकर 25 साल कर दिया. वहीं, हत्याकांड के तीसरे दोषी सुखदेव पहलवान की सजा को भी 25 साल से घटाकर 20 साल कर दिया गया. इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने आरोपी विकास और विशाल यादव को हत्या का दोषी मानते हुए 25 साल और सुखदेव पहलवान को 20 साल की सजा सुनाई थी.
वहीं तीनों आरोपियों को सबूत मिटाने के लिए 5 साल की अतिरिक्त सजा सुनाई गई थी. इस तरह विकास और विशाल को 30 साल और सुखदेव को 25 साल तक जेल में रहना पड़ता. सजा पर बहस के दौरान विकास यादव की ओर से दलील दी गई थी कि हत्या के मामले में फांसी या फिर उम्रकैद की सजा का प्रावधान है. उम्रकैद में फिक्स टर्म तय नहीं किया जा सकता.
सजा में छूट देने का अधिकार सिर्फ एग्जीक्यूटिव के पास सुरक्षित हैं और ऐसे में उसमें दखल नहीं दिया जा सकता. वहीं अभियोजन पक्ष की ओर से सीनियर एडवोकेट दयान कृष्णन ने दलील दी थी कि सुप्रीम कोर्ट की एक बड़ी बेंच श्रद्धानंद के केस में इस बात की व्याख्या कर चुकी हैं कि, अदालत सजा में छूट देने के बारे में अवधि तय कर सकती है.
ये था मामला
बताते चलें कि नीतीश कटारा की हत्या साल 2002 में 16-17 फरवरी की दरम्यानी रात को दिल्ली में की गई थी. दरअसल नीतीश के बाहुबली नेता डीपी यादव की बेटी भारती यादव से प्रेम संबंध थे, जिनसे भारती का भाई विकास यादव खुश नहीं था. विकास ने अपने चचेरे भाई विशाल यादव और सुखदेव पहलवान के साथ मिलकर नीतीश की हत्या कर दी थी.