देश को झकझोर कर रख देने वाले आरुषि हत्याकांड पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तलवार दंपति को रिहा कर दिया है. फैसला आने से पहले राजेश तलवार और नुपुर तलवार डासना गेट में भावुक हो गए. दोनों एक दूसरे से गले भी मिले. दोनों की रिहाई शुक्रवार को होगी.
हाई कोर्ट के फैसले के बाद सीबीआई को बड़ा झटका लगा है. सीबीआई का कहना है कि उसे अभी फैसले की कॉपी नहीं मिली है. फैसले की कॉपी पढ़ने के बाद आगे सुप्रीम कोर्ट में अपील के बारे में विचार किया जाएगा.
फैसला सुनते ही नुपुर तलवार रो पड़ीं. फैसले के बाद नुपुर तलवार ने कहा कि आखिर हमें इंसाफ मिल गया. फैसला आने से पहले डासना जेल में बंद तलवार दंपति की सांसें अटकी हुई थी. उन दोनों ने सुबह के वक्त नाश्ता करने से भी इनकार कर दिया था.
जेल के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक तलवार दंपति ने सुबह नाश्ता करने से इनकार कर दिया और नाश्ता नहीं किया. बताया जा रहा है कि उनका एनजाइटी लेवल हाई था. नूपुर और राजेश तलवार अलग-अलग बैरक में बंद हैं. उनकी बैरक में टीवी लगा हुआ है. जहां से उन दोनों को सारी जानकारी मिल रही थी.
आरुषि-हेमराज मर्डर केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट राजेश और नूपुर तलवार की अपील पर आज दोपहर बाद फैसला सुना सकती है. तलवार दंपति ने सीबीआई कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी. 26 नवंबर, 2013 को राजेश और नूपुर को सीबीआई कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी.
उसी फैसले को आरुषि के माता-पिता नूपुर और राजेश तलवार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. तलवार दंपति इस वक्त गाजियाबाद की डासना जेल में सजा काट रहे हैं. इसी वजह से बुधवार को तलवार दंपति की रात बेचैनी में कटी है. उन्हें उम्मीद है कि कोर्ट उन्हें बेगुनाह करार देते हुए जेल से रिहा करेगा.
तलवार दंपति की अपील पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सात सितंबर को ही सुनवाई पूरी कर ली थी, लेकिन न्यायमूर्ति बीके नारायण और न्यायमूर्ति एके मिश्रा की खंडपीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.
बताते चलें कि 15-16 मई, 2008 की दरमियानी रात को आरुषि तलवार की लाश नोएडा स्थित उसके घर में बिस्तर पर मिली. इसके बाद एक-एक कर इतनी नाटकीय घटनाएं सामने आईं कि पूरा मामला क्रिसी क्राइम थ्रिलर की फिल्म में बदल गया. इसमें अगले पल क्या होगा ये किसी को पता नहीं था.
नोएडा के मशहूर डीपीएस में पढ़ने वाली आरुषि के कत्ल ने पास पड़ोस के लोगों से लेकर पूरे देश को झकझोर दिया था. सब कुछ इतने शातिर तरीके से अंजाम दिया गया था कि सोचना भी मुश्किल था कि आखिर कातिल कौन हो सकता है. कत्ल के फौरन बाद शक घर के नौकर हेमराज पर जाहिर किया गया.
लेकिन अगले दिन जब हेमराज की लाश घर की छत पर मिली तो ये पूरा मामला ही चकरघिन्नी की तरह घूम गया. पुलिस हमेशा की तरह बड़बोले दावे करती रही कि जल्द ही डबल मर्डर का राज सुलझा लिया जाएगा. बाद में इस मामले की जांच तत्कालीन मुख्यमंत्री ने सीबीआई को सौंप दी थी.