ओडिशा के कोरापूत में न्याय न मिलने से हताश एक नाबालिग रेप पीड़िता ने आज खुदकुशी कर ली. पीड़िता ने कुछ वर्दीधारियों पर ही गैंगरेप का आरोप लगाया था. साथ ही पीड़िता ने जांच के दौरान पुलिस पर बयान बदलने के लिए उत्पीड़न करने का आरोप भी लगा चुकी है.
कोरापूत में रेप की यह वारदात करीब तीन महीने घटी थी. पीड़िता आदिवासी समुदाय से थी और 9वीं कक्षा में पढ़ती थी. मंगलवार को पीड़िता ने घर में ही फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. घटना के वक्त पीड़िता के परिवार वाले घर पर नहीं थे.
पीड़िता के परिवार वालों का कहना है कि इंसाफ न मिलने के चलते अपराधियों को सजा दिलाने की जंग उनकी बेटी हार गई और इसीलिए उसने खुदकुशी कर ली. उल्लेखनीय है कि पीड़िता इससे पहले भी एक बार खुदकुशी की कोशिश कर चुकी थी.
पुलिस ने बताया कि घरवाले जब वापस लौटे तो पीड़िता को पंखे से लटकता पाया. परिवार वालों के मुताबिक, उन्होंने अचेतावस्था में फौरन पीड़िता को स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
पीड़िता की मां ने भी अपनी बेटी की खुदकुशी के लिए स्थानीय प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है. मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए थे, जो अभी चल ही रही थी. विपक्ष इस मामले की CBI जांच की मांग करता रहा है.
पीड़िता ने पिछले साल 10 अक्टूबर को चार वर्दीधारियों द्वारा गैंगरेप की शिकायत दर्ज कराई थी. पीड़िता के मुताबिक, स्कूल जाते वक्त चार वर्दीधारी उसे जबरन खींचकर लंजिगुड़ा के जंगल में खींच ले गए थे और उसके साथ गैंगरेप किया था.
हालांकि वर्दीधारियों द्वारा रेप की वारदात सामने आने के बाद पुलिस ने पहले यह कहकर पल्ला झाड़ने की कोशिश की कि इलाके में सक्रिय माओवादी भी स्टेट पुलिस जैसी ड्रेस पहनते हैं.
इसके बाद ओडिशा पुलिस की ह्यूमन राइट्स प्रोटेक्शन सेल ने 7 नवंबर को मेडिकल जांच के आधार पर कहा कि पीड़िता के साथ रेप ही नहीं हुआ. इसके बाद मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस द्वारा मामला उठाए जाने के चलते मुख्यमंत्री ने मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए.
हालांकि मामले में एकबार फिर तब नया मोड़ ले लिया, जब पीड़िता ने पुलिस पर बयान बदलने के लिए प्रताड़ित करने के आरोप लगाए. साथ ही पीड़िता ने पुलिस पर रिश्वत देने का भी आरोप लगाया.