चोटी काटने की घटनाओं के बीच बाहरी दिल्ली के डीसीपी एम.एन. तिवारी ने मीडिया से एक खास अपील की है. बाकायदा उसके लिए डीसीपी ने पत्रकारों को एक खत लिखा है. जिसमें उन्होंने बताया है कि चोटी काटने की जो ख़बरें टीवी पर आ रही हैं या फिर समाचार पत्रों में छप रही हैं, उनका बच्चों के दिमाग पर गहरा असर हो रहा है.
DCP ने अपने पत्र में लिखा है "मीडिया में मेरे दोस्तों से एक अपील करना चाहता हूं एक पुलिस ऑफिसर और डिस्ट्रिक्ट का डीसीपी होने के नाते. बाल काटने वाली खबरें जो मीडिया में चलाई जा रही हैं, ये बच्चों के दिमाग पर भी गहरा असर कर रही हैं, मेरी बेटी ने मुझसे पूछा इसमें क्या सच्चाई है."
"मैंने उसे बताया, वो 8 साल की है. न्यूज देखकर और अखबार पढ़कर उसने दिमाग में इसे एक कॉन्स्पेट बना लिया, जिसके बाद मैंने उसे एक्सप्लेन किया कि ये सब अफवाह है, सच नहीं है, पर मैं सोचता हूं ऐसे ही बहुत से बच्चे सोचते होंगे. ये एक एग्सिस्टिंग फिनोमिना है."
"मेरी मीडिया के दोस्तों से अपील है कि भारत के संविधान, फन्डामेन्टल ड्यूटी है कि हमें साइंटिफिक टेम्पर डेवलप करना चाहिए. जबकि इस तरह की खबरें जैसे बालों को चौप करना, लॉक घर में घुसकर बालों को काट देना. ये साइंटिफिक टेम्पर के उलट खबरें हैं. इस तरह की खबरें बहुत अलग तरीके का परसेप्शन बना रही हैं."
"इस तरह की कॉल्स को इतनी बड़ी पब्लिसिटी नहीं देनी चाहिए, आउटर डिस्ट्रिकट में एक ऐसा मामला फर्जी पाया गया है. और पता लगा है लोग फर्जी कॉल कर रहे है. मैं रिक्वेस्ट करता हूं कि ऐसे मामलों को तरजीह न दें क्योंकि ये एक असर डालता है, और अटेंशन सीकर ऐसे मामलो को बार बार रिपीट करते हैं, ये साइक्लोजिकल समस्या हो सकती है.
DCP तिवारी ने आगे कहा "ये कोई पुलिस का मामला नहीं है, इसलिए हमे इस तरह का वर्क प्रेशर न दें, जो पूरी तरह से बेबुनियाद है और पुलिस इन्वेस्टिगेशन के मामलों को भी डिस्टर्ब करते हैं."