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बीते 10 साल में हुई 700 पत्रकारों की हत्या

बीते 10 सालों में दुनिया भर में 700 से अधिक पत्रकारों की हत्याएं हुई हैं. इन मामलों में महज एक में ही दोषी को सजा हुई. शैफील्ड विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के प्रमुख जैकी हैरिसन ने बताया कि पत्रकारों को चुनकर निशाना बनाना एक नई बात है.

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इन मामलों में महज एक में ही दोषी को सजा हुई
इन मामलों में महज एक में ही दोषी को सजा हुई

बीते 10 सालों में दुनिया भर में 700 से अधिक पत्रकारों की हत्याएं हुई हैं. इन मामलों में महज एक में ही दोषी को सजा हुई. शैफील्ड विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के प्रमुख जैकी हैरिसन ने बताया कि पत्रकारों को चुनकर निशाना बनाना एक नई बात है.

हैरिसन ने कहा कि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में पत्रकारिता को देखने का नजरिया बदल गया है. उनको पहले अधिक सुरक्षा मिलती थी, लेकिन अब उन्हें चुनकर निशाना बनाया जा रहा है. यह सिर्फ सूचना के प्रवाह को रोकने के लिए किया जा रहा है.

संयुक्त राष्ट्र ने पत्रकारों की सुरक्षा और हमलावरों के छूट जाने के मामले में कार्ययोजना बनाई है. लेकिन प्रोफेसर हैरिसन कहते हैं कि चिंता की बात यह है कि ये कार्ययोजनाएं तभी सफल हो सकती हैं, जब समाचार संगठन और लोगों को इनके बारे में पता हो.

उन्होंने अपने अध्ययन के लिए पाकिस्तान, मैक्सिको, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक आफ कांगो, तुर्की, भारत और बुलगारिया को चुना. इन देशों में वरिष्ठ पत्रकारों से बातचीत के आधार पर वह कहते हैं, 'इन देशों को चुनने की वजह प्रेस के स्वतंत्रता सूचकांक 2014 में इनकी निचली स्थिति थी.'

इस सूचकांक में 180 देशों में पत्रकारों और पत्रकारिता की स्थिति का मूल्यांकन होता है. इन छह देशों में पाकिस्तान का स्थान सबसे नीचे 158वां था. सेंटर फार द फ्रीडम आफ द मीडिया के इस अध्ययन को 11 नवंबर को होने वाले 'पत्रकारिता खतरे में' कार्यक्रम में पेश किया जाएगा.

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