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क्या आईएसआई के हाथ का खिलौना बन गए हैं खालिस्तानी आतंकी!

भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को मिले इनपुट के मुताबिक पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई अब अलग कश्मीर की तरह अलग खालिस्तान की मांग को भड़काने का काम भी कर रही है.

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आईएसआई खालिस्तानियों की हरसंभव मदद कर रही है (फाइल फोटो)
आईएसआई खालिस्तानियों की हरसंभव मदद कर रही है (फाइल फोटो)

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पंजाब में खालिस्तान का जिन्न एक बार फिर बाहर दिखाई दे रहा है. अमृतसर के निरंकारी भवन पर हमले के बाद खुफिया एजेंसियों का शक खालिस्तानी आतंकियों की तरफ ही जा रहा है. हालांकि अभी तक पुख्तातौर पर इस बारे में जांच एजेंसियां कुछ भी कहने को तैयार नहीं है. शक की सुई आईएसआई की तरफ भी घूम रही है.

दरअसल, जैसे-जैसे अमृतसर में हुए आतंकी हमले की परतें खुल रही हैं. वैसे-वैसे आईएसआई और खालिस्तानी आतंकियों का गठजोड़ सामने आ रहा है. सूत्रों के मुताबिक हमले के तार पाकिस्तान से लेकर दुबई तक जुड़ रहे हैं. शक है कि कश्मीर को लेकर बौखलाए आतंकी संगठन पंजाब के रास्ते अपने मंसूबे पूरे करने की फिराक में हैं.

बताया जा रहा है कि खालिस्तानी आंदोलन को हवा देने वाले कुख्यात परमजीत सिंह पम्मा को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का साथ मिल गया है. कुख्यात आतंकी पम्मा पर राष्ट्रीय सिख संगत के प्रमुख रुलदा सिंह की हत्या का इल्जाम है. इसके अलावा 2010 में अंबाला और पटियाल में हुए धमाकों में भी उसका हाथ था.

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भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को मिले इनपुट के मुताबिक पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई अब अलग कश्मीर की तरह अलग खालिस्तान की मांग को भड़काने का काम भी कर रही है. इस काम में सबसे अहम भूमिका निभा रहा है पाकिस्तानी सेना का लेफ्टिनेंट कर्नल शाहिद मोहम्मद मलही उर्फ चौधरी साहब. उसे आईएसआई का कारिंदा बताया जा रहा है.

चौधरी और पम्मा दोनों मिलकर भारत के खिलाफ खालिस्तानी आंदोलन को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं. इन दोनों ने मिलकर ही लंदन में बीती 12 अगस्त को भारत विरोधी रैली का आयोजन किया था. जिसे कई सिख संगठनों के साथ-साथ ब्रिटेन की वामपंथी ग्रीन पार्टी, पाकिस्तानी वैल्फेयर काऊंसिल, वर्ल्ड कश्मीर फ्रीडम मूवमैंट, कश्मीरी पैट्रोयटिक फोरम इंटरनेशनल का समर्थन भी हासिल था.

भारतीय खुफिया एजेंसियों का मानना है कि कनाडा और कुछ यूरोपीय देशों में चल रहे 'रैफरेंडम 2020' खालिस्तानी आंदोलन के पीछे पाकिस्तानी सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल शाहिद मोहम्मद मलही उर्फ चौधरी साहब का ही दिमाग है. वो लगातार खालिस्तानी आतंकियों को भारत के खिलाफ मदद दे रहा है. उनके लिए योजनाएं बना रहा है.

पहले ही भारतीय एजेंसियों के हाथ लगे दस्तावेजों से 'रैफरेंडम 2020' का खुलासा हो चुका है. सूत्रों के मुताबिक खालिस्तानी आईएसआई की मदद से ऑपरेशन ब्लू स्टार की 36वीं बरसी यानी 6 जून 2020 को 'रैफरेंडम 2020' को लॉन्च करने की तैयारी कर रहे हैं.

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आपको बता दें कि 12 अगस्त को लंदन में आयोजित भारत विरोधी रैली को ‘‘लंदन डिक्लेरेशन’’ का नाम दिया गया था. इसमें 10000 सिखों के हिस्सा लेने का दावा किया गया था. इसी के तहत अलग खालिस्तान की मांग के समर्थन में 2020 में जनमत संग्रह कराने के लिए सोशल मीडिया पर जमकर प्रोपेगैंडा फैलाया जा रहा है. इस सारे काम में पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई इनकी मदद कर रही है.

बहरहाल, पांच नदियों के दुआबे में बसे पंजाब में 34 साल पुराने खौफ की आहट सुनाई पड़ रही है. तब अमृतसर में सिक्खों के सबसे पवित्र स्थल स्वर्ण मंदिर में गोलियां चली थीं, अब अमृतसर से थोडी दूरी पर निरंकारी भवन में हुआ धमाका कहीं पंजाब के लिए किसी अनहोनी की गूंज ना बन जाए.

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