कानपुर के जिस कारोबारी पीयूष जैन के घर से करोड़ों की नगदी, सोना और जमीन के कागजात मिले हैं, वो खानदानी रईस नहीं है. पीयूष ने सबसे पहले अपने पिता के कारोबार में हाथ बंटाया, फिर साबुन के फैक्ट्री में नौकरी तक की. इस दौरान उसे कैमिकल कंपाउंड के बिजनेस के बारे में जानकारी मिली. फिर चंद सालों में पीयूष जैन ने अरबों का साम्राज्य खड़ा कर लिया. बता दें कि पीयूष के कन्नौज और कानपुर स्थित ठिकानों पर 120 घंटे की जांच और 50 घंटे तक चली पूछताछ के बाद करीब 178 करोड़ की नगदी, 23 किलोग्राम सोना और 600 लीटर चंदन का तेल बरामद हुआ है.
कन्नौज के छपरपट्टी इलाके की जैन स्ट्रीट रहने वाले पीयूष जैन ने करोड़ों रुपए की संपत्ति अपने शातिर दिमाग से जुटाई. कानपुर यूनिवर्सिटी से कैमिस्ट्री में एमएससी करने वाले पीयूष जैन के पिता कैलाश चंद जैन का कन्नौज में ही कपड़ों का छोटा व्यापार था. लेकिन पीयूष जैन ने पिता के धंधे में हाथ बटाने के बजाय मुंबई की डिटर्जेंट फैक्ट्री में नौकरी करने से अपने किस्मत को बदलने की शुरुआत की.
साबुन फैक्ट्री में काम करने के दौरान ही पीयूष जैन को केमिकल कंपाउंड के बिजनेस की जानकारी हुई. इसके बाद कन्नौज लौट कर पीयूष ने इत्र कारोबार के केमिकल कंपाउंड को बनाना शुरू किया. इसके लिए odo chem chemicals के नाम से कंपनी रजिस्टर्ड करवाया था. केमिकल कंपाउंड के धंधे से मुनाफा हुआ तो उसने अपने कारोबार को कानपुर के गुटका कारोबारियों तक फैला दिया. गुटखे के कारोबार में खुशबू के लिए इत्र की जरूरत होती है जो काफी महंगा होता है. उसमें पीयूष जैन के केमिकल कंपाउंड ने गुटके में लागत को कम किया लेकिन खुशबू बढ़ा दी. इस तरह कैमिस्ट्री के ज्ञान और केमिकल कंपाउंड के जरिए पीयूष चंद सालों में ही करोड़पति बन गया.