निर्भयाकांड के नाबालिग दोषी की सजा बढ़ाने की पुरजोर मांगों के बीच उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में दोषी के पैतृक गांव में एक पक्ष उसका विरोध करने की तैयारी कर रहा है. गांव वालों का कहना है कि वे उसे गांव में घुसने नहीं देंगे.
दिल्ली में दिसम्बर 2012 में एक चलती बस में मेडिकल की एक छात्रा से सामूहिक बलात्कार करने वालों में एक नाबालिग दोषी का पैतृक गांव बदायूं जिले में है. और वहां के कई लोग नहीं चाहते कि निर्भयाकांड का मुजरिम अब कभी अपने गांव लौटे.
गांव के बुजुर्ग फूलचंद्र का कहना है कि निर्भया काण्ड के दोषी उस लड़के ने इतना घिनौना काम किया है कि उसे अब इस गांव में रहने का कोई अधिकार नहीं है. उस वारदात के बाद देश-विदेश में गांव की बहुत बदनामी हुई है.
ग्रामीणों का कहना है कि निर्भया काण्ड के बाद बाहर पढ़ने वाले इस गांव के युवाओं को हिक़ारत भरी नजरों से देखा जाता है. यहां तक कि कोई उन्हें नौकरी देने को भी तैयार नहीं है, नतीजतन गांव में बेरोजगारों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है.
गांव के अनिल, कुन्नू, रामपाल, गुलाब और नरेश समेत बड़ी संख्या में लोगों की इच्छा है कि निर्भया का गुनहगार अब कभी इस गांव में कदम न रखे.
हालांकि वारदात के वक्त नाबालिग होने की वजह से उसे मात्र तीन साल की सजा मिली. दोषी लड़के के परिजनों समेत कुछ लोग उसके गांव वापस लौटकर सुधरने और नई जिंदगी शुरू करने की हिमायत भी कर रहे हैं.
दोषी की मां का कहना है कि परिवार का कोई भी सदस्य उसे लेने के लिये दिल्ली नहीं जाएगा. लेकिन उनकी दिली ख्वाहिश है कि उनका बेटा बाल सुधार गृह से छूटकर सीधा अपने गांव वापस आए और बेहद गरीबी में जी रहे अपने परिवार की मदद करे.
दोषी की मां का कहना है कि उसका पति मंदबुद्धि है. दो जवान बेटियों की मेहनत-मजदूरी से ही परिवार का भरण-पोषण होता है. ऐसे में परिवार को अपने बेटे की सख्त जरूरत है.
गांव के कई लोगों का कहना है कि जिंदगी का इतना बड़ा सबक सीखने और दंश देने वाली सजा भुगतने के बाद दोषी लड़के को नया जीवन शुरू करने का एक और मौका तो मिलना ही चाहिये. गांव के लोग उसे अपने पैरों पर खड़े होने में पूरी मदद करेंगे ताकि वह दोबारा अपराध के दलदल में ना फंसे.
गौरतलब है कि 16 दिसम्बर 2012 को दिल्ली के वसंत विहार इलाके में चलती बस में मेडिकल की एक छात्रा से हुई सामूहिक बलात्कार की वारदात ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था. उस वारदात में गम्भीर रूप से घायल उस लड़की की इलाज के दौरान मौत हो गई थी.
इस अपराध में शामिल एक नाबालिग दोषी तीन साल की सजा भुगतने के बाद रविवार को रिहा हो रहा है. दिल्ली उच्च न्यायालय में उसकी रिहाई पर रोक लगाने की मांग को ठुकरा दिया था. इसके साथ ही उसकी रिहाई का रास्ता साफ हो गया है.
इनपुट- भाषा